
देहरादून | समान नागरिक संहिता (यूसीसी) नियमावली के तहत विवाह पंजीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार ने विवाह पंजीकरण शुल्क में दी जा रही छूट की समयसीमा एक बार फिर बढ़ा दी है। अब यह सुविधा आगामी 26 जनवरी 2026 तक उपलब्ध रहेगी। गृह विभाग ने इस संबंध में बुधवार को आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और किफायती बनाएगा, बल्कि लोगों में विवाह पंजीकरण को लेकर जागरूकता भी बढ़ाएगा।
किन्हें मिलेगा लाभ?
गृह विभाग के अनुसार, इस छूट का लाभ विशेष रूप से निम्नलिखित श्रेणियों को मिलेगा—
- वे दंपती जिनका विवाह यूसीसी लागू होने से पहले संपन्न हुआ है लेकिन पंजीकृत नहीं है।
- वे मामले जिनमें विवाह पंजीकृत था लेकिन तलाक की डिक्री जारी हो चुकी है।
- ऐसे विवाह जो रद्द (निरस्त) हो चुके हैं।
- वे दंपती जिनका विवाह पहले हुआ लेकिन पंजीकरण की औपचारिकता पूरी नहीं हुई।
शुल्क में कितनी छूट?
विवाह पंजीकरण के लिए पहले निर्धारित शुल्क ₹250 था, जिसे फिलहाल माफ किया गया है। हालांकि, अगर पंजीकरण सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के माध्यम से किया जाता है, तो ₹50 (जीएसटी सहित) की नाममात्र की सेवा-शुल्क राशि देनी होगी।
पहले कब थी समयसीमा?
- शुरुआत में यह छूट 26 जुलाई 2025 तक के लिए थी।
- प्रदेश मंत्रिमंडल ने जुलाई में हुई बैठक में इस अवधि को छह महीने और बढ़ाने का निर्णय लिया।
- अब नई अंतिम तिथि 26 जनवरी 2026 तय की गई है।
सरकार का उद्देश्य
उत्तराखंड सरकार का कहना है कि विवाह पंजीकरण समान नागरिक संहिता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इससे न केवल वैवाहिक संबंधों का कानूनी संरक्षण सुनिश्चित होता है, बल्कि
- संपत्ति संबंधी विवादों में पारदर्शिता आती है,
- तलाक या अलगाव की प्रक्रिया में स्पष्टता रहती है,
- और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ दंपतियों तक आसानी से पहुँचता है।
यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में विवाह पंजीकरण सभी धर्मों और समुदायों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। इसका उद्देश्य एक समान कानून के दायरे में विवाह और उससे संबंधित कानूनी अधिकारों को लाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क में छूट जैसे कदम नागरिकों को औपचारिक पंजीकरण की ओर प्रोत्साहित करेंगे। राज्य सरकार भी उम्मीद कर रही है कि 26 जनवरी तक अधिकतम लंबित और अपंजीकृत विवाह पंजीकृत हो जाएं।
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)