
देहरादून | उत्तराखंड के दो प्रमुख टाइगर रिजर्व — कार्बेट और राजाजी — में एक बार फिर से हाथी सफारी शुरू कराने की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो अगले पर्यटन सत्र में पर्यटक हाथी पर सवार होकर बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्यजीवों का दीदार कर सकेंगे।
🐘 2018 में लगी थी रोक, अब फिर लौटेगा रोमांच
वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाथी सफारी संचालन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय से स्थगन आदेश मिलने के बाद अब वन विभाग ने हाथी सफारी को दोबारा शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। हाल ही में राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और इसे अगली सीज़न से शुरू करने का निर्णय लिया गया।
🌲 किन जगहों पर हो सकती है सफारी?
कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR):
- ढिकाला रेंज
- बिजरानी रेंज
राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR):
- चीला रेंज
इन क्षेत्रों में हाथी सफारी के लिए पहले से अनुकूल संरचना है और यहाँ बाघों समेत कई वन्यजीवों की अच्छी खासी मौजूदगी है।
📊 कितने हाथी हैं उपलब्ध?
टाइगर रिजर्व | उपलब्ध हाथी | वर्तमान कार्य |
---|---|---|
कार्बेट (CTR) | 15 हाथी | गश्त, रेस्क्यू ऑपरेशन |
राजाजी (RTR) | 7 हाथी | कठिन क्षेत्रों में निगरानी |
वन विभाग के अनुसार, सभी हाथियों को सफारी में नहीं लगाया जाएगा। कुछ हाथी केवल वन विभागीय कार्यों के लिए ही आरक्षित रहेंगे।
🌿 सफारी की प्रक्रिया और अनुमति
प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) रंजन मिश्रा ने बताया:
“टाइगर रिजर्व के मैनेजमेंट प्लान में पहले से ही हाथी सफारी की व्यवस्था होती है। इसलिए इसकी अनुमति की प्रक्रिया राज्य स्तर पर ही पूरी हो जाती है। हम प्रयास कर रहे हैं कि सभी प्रक्रियाएं समय से पूरी कर ली जाएं ताकि पर्यटक अगले सीजन में इसका आनंद ले सकें।”
💰 फीस और नियम जल्द तय होंगे
अभी हाथी सफारी की अनुमति के लिए विधिवत आदेश आना बाकी है। अनुमति मिलने के बाद सफारी की शुल्क संरचना, गाइडलाइन और टाइम स्लॉट निर्धारित किए जाएंगे। वन विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि सफारी पारिस्थितिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए संचालित हो।
🌄 क्यों है हाथी सफारी खास?
- वाहन और पैदल यात्री जहाँ नहीं पहुँच सकते, वहाँ हाथी सबसे सुरक्षित विकल्प हैं।
- यह सफारी खासकर उन पर्यटकों के लिए रोमांचक होती है जो वन्यजीवों को नजदीक से देखने का अनुभव चाहते हैं।
- हाथी सफारी ध्वनि प्रदूषण से मुक्त होती है, जिससे जानवरों को कम तनाव होता है।
🧭 पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
वन विभाग का मानना है कि हाथी सफारी शुरू होने से उत्तराखंड के इको-टूरिज्म को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव मिलेगा और राज्य को राजस्व भी प्राप्त होगा। साथ ही, हाथियों की देखभाल व रखरखाव के लिए भी अतिरिक्त संसाधन जुटाए जा सकेंगे।