कविता : यादों की गलियों में

यादों की गलियों में, कभी रूठना कभी मनाना, अम्मा-बाबू से जिद मनवाना, दिल भूल नहीं पाता है, यादों की गलियों में जब दिल जाता है। खुद खाने से पहले मुझे खिलाना, रूठूं तो पल भर में मनाना, बहराइच, उत्तर प्रदेश से सुनील कुमार की कलम से… यादों की गलियों में जब दिल ‌जाता है बहुत कुछ याद आ … Continue reading कविता : यादों की गलियों में