
देहरादून | राज्य कर विभाग, उत्तराखंड द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम राज्य स्थापना रजत जयंती समारोह का मुख्य आकर्षण रहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा कि “बिल लाओ, इनाम पाओ योजना राज्य में ईमानदार कर संस्कृति और उपभोक्ता जागरूकता का प्रतीक बन चुकी है।” उन्होंने दोनों प्रथम पुरस्कार विजेताओं से फोन पर बात कर बधाई दी और कहा कि आने वाले समय में इस योजना को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना की सबसे बड़ी सफलता यही है कि इसने आम जनता को राजस्व प्रणाली का सहभागी बना दिया है। वर्ष 2022 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक लोगों ने 6.5 लाख से अधिक बिल अपलोड किए, जिनके माध्यम से 263 करोड़ रुपये का वैध लेनदेन दर्ज हुआ। इस पहल से न केवल राज्य के कर संग्रह में वृद्धि हुई है, बल्कि व्यापारी वर्ग में भी कर अनुपालन की संस्कृति (Tax Compliance Culture) मजबूत हुई है। धामी ने कहा —
“यह योजना केवल इनाम देने का माध्यम नहीं, बल्कि राज्य के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक नवाचार है। इससे जनता और सरकार के बीच भरोसे का रिश्ता और गहरा हुआ है।”
‘बिल लाओ, इनाम पाओ’ योजना का उद्देश्य:
राज्य कर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है —
- जनसहभागिता के माध्यम से कर चोरी पर अंकुश लगाना।
- व्यवसायों में पारदर्शिता बढ़ाना।
- उपभोक्ताओं को बिल लेने और सहेजने के लिए प्रेरित करना।
- और साथ ही नकद लेनदेन के बजाय डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देना।
योजना के तहत उपभोक्ता अपने खरीदारी के बिल को ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप पर अपलोड करते हैं। इन बिलों में से समय-समय पर लकी ड्रॉ निकाला जाता है, और विजेताओं को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
इनामों की झड़ी — किसने क्या जीता:
इस बार के मेगा लकी ड्रॉ में कुल 1888 विजेताओं को चुना गया। पुरस्कारों की विस्तृत सूची इस प्रकार है —
| पुरस्कार श्रेणी | विजेताओं की संख्या | पुरस्कार का नाम | 
|---|---|---|
| प्रथम पुरस्कार | 2 | इलेक्ट्रिक कार | 
| द्वितीय पुरस्कार | 16 | कार | 
| तृतीय पुरस्कार | 20 | ई-स्कूटर | 
| चतुर्थ पुरस्कार | 50 | मोटरसाइकिल | 
| पंचम पुरस्कार | 100 | लैपटॉप | 
| षष्ठम पुरस्कार | 200 | स्मार्ट टीवी | 
| सप्तम पुरस्कार | 500 | टैबलेट | 
| अष्टम पुरस्कार | 1000 | माइक्रोवेव और अन्य घरेलू सामान | 
इस अवसर पर सचिवालय सभागार में माहौल बेहद उत्साहपूर्ण रहा। विजेताओं के नाम जैसे ही घोषित हुए, सभागार तालियों से गूंज उठा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड में पारदर्शी शासन की दिशा में यह योजना एक ऐतिहासिक कदम साबित हुई है।
“जब जनता स्वयं कर व्यवस्था का हिस्सा बनती है, तो सरकार की नीतियों में ईमानदारी और पारदर्शिता दोनों आती हैं। यह योजना जनता के विश्वास और सहयोग का प्रतीक है।”
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले महीनों में राज्य सरकार ‘डिजिटल बिल प्रोत्साहन सप्ताह’ मनाने की योजना बना रही है, जिसमें आम लोगों को कर-जागरूकता से जोड़ा जाएगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि योजना से न केवल उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं, बल्कि व्यापारियों को भी इसका फायदा मिला है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अब जीएसटी बिल देने की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे उनके लेनदेन का रिकॉर्ड पारदर्शी बना है। राज्य कर आयुक्त के अनुसार —
“यह योजना उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और कर चोरी पर नियंत्रण दोनों को साथ लेकर चल रही है। हम चाहते हैं कि हर उपभोक्ता अपने अधिकार के प्रति जागरूक हो और बिल लेना अपनी आदत बनाए।”
भविष्य की योजनाएं और विस्तार:
मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की कि अगले चरण में इस योजना को जिलास्तरीय और नगर-स्तरीय इनाम वितरण प्रणाली से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा योजना में ‘युवा कर दूत’ (Tax Ambassadors) की अवधारणा भी जोड़ी जाएगी, जिसमें छात्र और स्वयंसेवी संगठन जनजागरूकता फैलाएंगे। ‘बिल लाओ, इनाम पाओ’ अब केवल एक प्रोत्साहन योजना नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आर्थिक ईमानदारी का प्रतीक बन चुकी है। राज्य स्थापना दिवस पर हुए इस मेगा ड्रॉ ने यह संदेश दिया कि ईमानदारी का इनाम हमेशा बड़ा होता है — और जब जनता सरकार की साझेदार बनती है, तो विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ जाती है।
 
     
 
                       
                       
                       
                       
                      






