
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर (राजस्थान)
लोग कहते हैं कि अमुक व्यक्ति को दस बार समझा दिया कि ऐसा मत करो, वैसा मत करो लेकिन वह नालायक मानता ही नहीं है। जो आपकी बात न माने, उसे मत समझाइए, चूंकि इससे आपका ही कीमती समय बर्बाद होता है। अतः आप किसी को समझाने में अपना समय बर्बाद मत कीजिए। जिसको समझना होता है, वह एक ही बार में समझ जाता है। जो समय पर समझ जाए वहीं तो इंसान है, इसलिए कहते हैं कि जमाने से शिकायतें मत कीजिए, अपितु खुद को बदल लीजिए। चूंकि पांव की गंदगी बचाने का एक सीधा सा उपाय है कि आप जूते पहन लीजिए न कि सारे शहर में कालीन बिछाना। कहा भी जाता है कि इंसान करवट बदलता है तो दिशा बदल जाती है और जब वक्त करवट बदलता है तब दशा बदल जाती है।
योग्यता कर्म से पैदा होती है
मनुष्य की योग्यता उसके कर्म पर निर्भर करती है और उसकी योग्यता उसके कर्म से ही आंकी जाती है, चूंकि हर मनुष्य जन्म से शून्य ही होता है। अतः व्यक्ति को निरन्तर कुछ न कुछ नया करते रहना चाहिए। इससे आपको हर रोज नये ज्ञान की प्राप्ति होगी और आपके ज्ञान में भी बढ़ोतरी होगी। जब कोई भी कार्य करें तब पूरी सावधानी, ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें। इस तरह कार्य करते रहने से जहां एक ओर हमारा मनोबल मजबूत होता है, वहीं दूसरी ओर मन में व्याप्त भय भी दूर होता है। इतना ही नहीं, हमारी कार्यकुशलता और अनुभव भी बढ़ता है। जब तक आप अपनी प्रतिष्ठा नहीं बना लेते, तब तक आपको दुगुनी मेहनत करनी पड़ती है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए असंतुष्ट रहना जरूरी है। यदि आप संतुष्ट हो जाते हैं तो आप आगे कोई प्रगति नहीं कर सकते। हमारी यह भूल है कि हम अपने आप को दूसरों से अधिक आंकते हैं, जबकि होना यह चाहिए कि अपने को दूसरों से कम आंकना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तभी तो प्रतिस्पर्धा की दौड़ में कुछ बेहतर करके अपना कौशल दिखा पाएंगे।
कंकर और संकट
अपने घर में दाल-चावल के कंकर हमें ही साफ करने पड़ते हैं, ठीक उसी प्रकार अपने कार्य में आई बाधा व संकट से हमें ही निपटना पड़ता है। जो व्यक्ति अपने मार्ग में आई बाधाओं को आसानी से सुलझाकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाता है, वहीं सफलता को प्राप्त करता है। इतना ही नहीं, ऐसे चिंतनशील व्यक्ति फिर उन बाधाओं को अपने जीवन में दोबारा नहीं आने देते हैं। इसलिए जीवन में सोच-समझ कर आगे बढ़ें और अपने लक्ष्य को बिना समय गंवाए और बिना बाधाओं के निर्बाध रूप से आगे बढ़ते रहिए।
अमीर हो सकते हो, अमर नहीं
इस भागदौड़ की दुनिया में इंसान के पास गाड़ी, बंगला, नौकर-चाकर, पद, प्रतिष्ठा क्या मिल जाती है कि उनकी आंखें ही नहीं खुलती हैं। वे फिर दूसरों को हेय दृष्टि से देखते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि जीवन में सब कुछ धन-दौलत ही नहीं है। धन-दौलत का क्या, कब हाथ से चली जाए और जो इंसान अब तक ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा था, वहीं आज फुटपाथ पर आ गया। अतः इंसान को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।
धन-दौलत, सुख-सुविधाएं चलायमान हैं। आज हैं तो कल होंगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। चूंकि परमात्मा ने हमें यह सुविधाएं दी हैं और न जानें कब वापस छीन ले। उसकी लीला वहीं जानता है। धन-दौलत पाकर एवं सुख-सुविधाएं पाकर आप अमीर हो सकते हैं लेकिन अमर नहीं। यह बात सदा याद रखिए।
हैरान-परेशान
कोई आपको कितना भी हैरान-परेशान करे और कितनी ही गलतियां करें, लेकिन आपको ऐसे लोगों से बातचीत नहीं करनी चाहिए। अपितु हंसते-मुस्कुराते आगे की ओर बढ़ जाना चाहिए या वहां से हटकर कहीं अन्यत्र कुछ देर के लिए चले जाना चाहिए। चूंकि हैरान-परेशान करने वाले लोग समाज व राष्ट्र के दुश्मन होते हैं। इन्हें आप कितना भी समझा दीजिए, लेकिन इन पर कोई असर नहीं पड़ता है। अतः ऐसे सिरफिरे लोगों की ओर ध्यान देकर अपना कीमती समय बर्बाद न करें।
दोस्त हीरा होता है
कहते हैं कि प्यार सोना होता है और दोस्त हीरा होता है। सोना टूट जाए तो वापस बन सकता है, लेकिन हीरा टूट जाए तो कभी वापस नहीं बनता है। इसलिए दोस्तों की हीरे की तरह कद्र कीजिए। वह अनमोल होता है और दुख के वक्त काम आता है। एक दोस्त ही ऐसा साथी होता है जिस पर हम आंख बंद कर विश्वास करते हैं और मन की हर बात उसे खुलकर बता देते हैं। वे बातें भी हम उससे शेयर कर लेते हैं जो अपने परिजनों को भी आसानी से नहीं बताते हैं। अतः दोस्तों का भी दायित्व बनता है कि वे अपने मित्र की बात कहीं भी उजागर कर उसके दिल को न तोड़ें।
समय, विश्वास और सम्मान
समय, विश्वास और सम्मान ये ऐसे पक्षी हैं जो एक बार उड़ जाएं तो वापस नहीं आते हैं। इसलिए हमें समय की कद्र करनी चाहिए और हर पल का आनंद जमकर लेना चाहिए। जो समय की कद्र करता है, उसी की समय कद्र करता है। चूंकि गया समय कभी भी लौट कर नहीं आता है। ठीक उसी प्रकार इंसान को कभी भी अपना विश्वास खोना नहीं चाहिए, बल्कि उसे बनाए रखना चाहिए। क्योंकि आपका विश्वास ही आपकी गुडविल है। आपकी पहचान एवं आपकी अमूल्य धरोहर है। आपके विश्वास के कारण और आपके श्रेष्ठ व्यवहार के कारण लोग आपका सम्मान करते हैं। अतः इन तीनों की हमेशा कद्र करनी चाहिए।
आप जब भी सोचें, बोलें और लिखें तब श्रेष्ठ ही सोचें, बोलें और लिखें। चूंकि शब्द भी एक तरह का भोजन है। अतः जब भी किसी से बातचीत करें तब उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करें जो उचित हों और जिन शब्दों की आप अपने प्रति दूसरों से अपेक्षा रखते हैं। जब हम कड़वी चीज नहीं खा सकते तो फिर कड़वे शब्दों का इस्तेमाल कर क्यों दूसरों का दिल दुखाएं और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाएं।
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🖊️ संपादक की टिप्पणी:
“जीवन का सार कभी-कभी बहुत साधारण शब्दों में छिपा होता है — और यही इस लेख की खूबसूरती है। यह लेख न केवल जीवन जीने की दिशा दिखाता है, बल्कि हमारी सोच, व्यवहार और मूल्यों को भी टटोलता है। रिश्तों से लेकर समय की कीमत तक, हर पैराग्राफ आत्मनिरीक्षण के लिए एक आईना है। आज की तेज़ रफ्तार, भ्रमित और दिखावटी दुनिया में यह लेख सादगी, संतुलन और समझदारी की ओर लौटने का आमंत्रण है।”
-सम्पादक एवं मान्यता प्राप्त पत्रकार
उत्तराखण्ड सरकार
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