
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान
आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा लिखी गई शक्ति के स्रोत एक अत्यंत प्रेरणादायक पुस्तक है। इस पुस्तक के माध्यम से यह शिक्षा दी गई है कि जो व्यक्ति जीवन में अपने बल और आत्मविश्वास पर आगे बढ़ता है, उसके लिए कोई भी कठिनाई असाध्य नहीं रहती। वाणी, इच्छा और मन का संयम, प्रवृत्ति-निवृत्ति का संतुलन, मन-जप, ध्यान आदि शक्तियों को आचार्य ने जीवन के महत्वपूर्ण स्त्रोत बताया है। उनका संदेश है कि शक्ति का कभी दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि उसका सदैव सदुपयोग होना चाहिए।
पुस्तक में कुल 40 आलेख संकलित हैं। सभी आलेख ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक हैं। आचार्य महाप्रज्ञ ने छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से गहन जीवन-दर्शन प्रस्तुत किया है, जो आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि आज शिक्षा बिकाऊ होकर रह गई है, जो उचित नहीं है। यदि व्यक्ति के मन में सच्चे ज्ञान की प्यास है तो वह हर प्रकार का कष्ट सहने को तैयार हो जाता है। साथ ही उन्होंने ऊर्जा संरक्षण पर विशेष बल दिया है।
लेखक ने शक्ति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि शक्ति के बिना जीवन में कुछ भी संभव नहीं है। समस्या आने पर घबराने के बजाय साहसपूर्वक उसका समाधान निकालना चाहिए, क्योंकि इस संसार में कोई भी व्यक्ति समस्या-मुक्त नहीं है। संयम के महत्व पर जोर देते हुए आचार्य लिखते हैं कि संयम से ही शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
शक्ति के स्रोत में क्रोध पर नियंत्रण रखने, नशे से दूर रहने और जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा दी गई है। कुल मिलाकर, यह पुस्तक वास्तव में गागर में सागर के समान है। इसकी सभी कहानियाँ शिक्षाप्रद और जीवन को दिशा देने वाली हैं। यदि इसे एक मर्मस्पर्शी कृति कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ एक नई शिक्षा देता है। इसकी छपाई, गेट-अप, मेकअप और कागज की गुणवत्ता भी अत्यंत उत्तम है।
शक्ति के स्रोत
लेखक — आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक — आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती, पोस्ट — लाडनूं 341306, जिला नागौर (राजस्थान)
फोन — (01581) 226080, 224671
मूल्य — 300 रुपये
पृष्ठ — 276
समीक्षक — सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
Nice