कविता : बोनसाई

बोनसाई, जब कोई तुम्हारी जड़ों से, धीरे धीरे काटे तुम्हीं को, जब कोई तुम्हारी शाख से, धीरे धीरे टहनियों को छांटे, जब कोई संकुचित कर दे, तुम्हारा जीवन, समझ लेना, कुछ यूं बदले जा रहे हो तुम, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से… स्वयं की मूल प्रकृति से द्वंद करने … Continue reading कविता : बोनसाई