
हरिद्वार | हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुई भगदड़ में आठ श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत और दर्जनों लोगों के घायल होने के बाद मंदिर का सीढ़ियों वाला मार्ग पूरी तरह सील कर दिया गया है। अब यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रद्धालुओं को वैकल्पिक मार्गों से भेजा जा रहा है। हादसे के बाद मंदिर परिसर और उससे सटे इलाकों में सन्नाटा पसरा हुआ है, जहां कभी श्रद्धालुओं की चहल-पहल रहती थी, अब वहां खामोशी और भय का माहौल है।
■ तीन रास्ते, एक बंद
मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन मुख्य मार्ग हैं –
- ब्रह्मपुरी की ओर से पैदल मार्ग,
- अपर रोड से सीढ़ियों वाला मार्ग,
- रोपवे सेवा।
इन्हीं में से सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाला मार्ग सीढ़ियों वाला रास्ता था, जहां रविवार को मंदिर के ठीक नीचे हादसा हुआ। इस रास्ते पर अत्यधिक भीड़, अव्यवस्थित ढलान, और विद्युत करंट के संदेह ने इस भगदड़ को भयावह बना दिया।
■ हादसे के बाद सीढ़ी मार्ग पूरी तरह बंद
हादसे के अगले ही दिन सोमवार को प्रशासन ने सीढ़ी वाले मार्ग को पूरी तरह बंद कर दिया। अब यहां पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है, जो श्रद्धालुओं को उस ओर जाने से रोक रहे हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को ब्रह्मपुरी की ओर से पैदल रास्ता या रोपवे का उपयोग करने को कहा गया है। यह रास्ता, जो आम दिनों में हजारों श्रद्धालुओं से भरा रहता था, सोमवार को पूरी तरह सुनसान और वीरान नजर आया। सुरक्षा बलों ने आसपास के इलाके को भी बैरिकेडिंग कर सील कर दिया है।
■ दुकानें खुली, वीडियो वायरल होते ही बंद
घटना स्थल के आसपास बनी मंदिर परिसर की दुकानें सोमवार सुबह खोली गई थीं, लेकिन जब किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, तो जनता में आक्रोश फैल गया। प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए दुकानों को दोबारा बंद करवा दिया। कुछ दुकानदारों ने दुकानें आधी बंद रखीं और तिरपाल लगाकर भीतर बैठ गए। दिनभर इन दुकानों में कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं हुई।
■ हादसे की जगह पर पसरा सन्नाटा, भारी पुलिस बल तैनात
जहां रविवार को अफरा-तफरी, चीख-पुकार और भगदड़ का दृश्य था, वहां अब सन्नाटा और गमगीन माहौल है। श्रद्धालु उस मार्ग से गुजरने से भी कतराते दिखे। मंदिर मार्ग पर अब हर चौराहे पर पुलिस और क्यूआरटी टीमें तैनात हैं। घटना की मजिस्ट्रेटी जांच भी शुरू कर दी गई है। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर संभावित संरचनात्मक खामियों और अवैध निर्माणों की सूची बनानी शुरू कर दी है।
■ जनता में रोष, सवालों के घेरे में प्रशासन
हादसे के बाद से श्रद्धालुओं और स्थानीय जनता में प्रशासनिक लापरवाही को लेकर गहरा रोष है।
- भीड़ नियंत्रण के लिए कोई माकूल व्यवस्था क्यों नहीं थी?
- अवैध दुकानें और बिजली के खुले तार किसकी जिम्मेदारी में थे?
- क्या प्रशासन पहले से सचेत नहीं था कि सावन और श्रावण में भीड़ अत्यधिक हो जाती है?
ये सवाल न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राज्य सरकार की व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं।
■ आगे क्या?
राज्य सरकार ने धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश को निर्धारित सीमा के भीतर रखने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हादसे की पूर्ण जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।