
राज शेखर भट्ट
देहरादून। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, उत्तराखण्ड सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग है। यह विभाग वह जाना-पहचान नाम बन चुका है, जो अपने दायित्वों का निर्वहन नियमों के अनुरूप कर रहा है। हालांकि इस बात का खुलासा अभी नहीं हुआ है कि नियमों के अनुरूप कार्य होता है या कार्यों के अनुरूप नियमों को ढाल दिया जाता है। जल्द ही खुलासा भी हो जायेगा कि विभाग की विज्ञापन नीति कितनी परदर्शी और कितनी नियमों के अनुरूप है।
जैसा कि विभाग की विज्ञापन नीति की बात की जा रही है, उसी का संबंध सूचना अधिकार अधिनियम से भी है। पिछले दिनों प्रकाशित कुछ समाचारों में इस बात का खुलासा किया जा चुका है कि किस-किस समाचार पत्र और किस-किस मासिक पत्रिका को विभाग ने अच्छे निजी विज्ञापन बांटे हैं। जिस संबंध में विभाग से अनेक सूचना ‘सूचना अधिकार अधिनियम’ के तहत मांगी गयी है। इस बात से विभाग भी खुश ही होगा, क्योंकि बात विज्ञापन नीति की परदर्शिता की चल रही है।
बहरहाल, अभी पहले सूचना अधिकार अधिनियम का विभाग ने जवाब दे दिया है। बिंदु संख्या 01 से 03 का उत्तर 38 पृष्ठों का है, जिसका भुगतान करने के बाद विभाग सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध करा देगा। लोक सूचना अधिकारी एल.पी. भट्ट जी के अनुसार, बिंदु संख्या 04 प्रश्नात्मक है और कैसे प्रश्नात्मक, क्यों प्रश्नात्मक है, इस बात को भी वही समझा पायेंगे। अब जो बचे हुये बिंदु हैं, उनका समाधान होने में थोड़ा समय लगेगा।
सूचना विभाग के लोक सूचना अधिकारी महोदय ने बताया कि बिंदु संख्या 05 से लेकर बिंदु संख्या 20 तक की सूचना विस्तृत है, जिसके लिए प्रार्थी के द्वारा 15 सितम्बर 2025 को अवलोकन किया जायेगा, जिसके बाद चिन्हित सूचना का भुगतान करने के बाद सूचना उपलब्ध करा दी जाएगी। अब देखना यह है कि सूचना कितनी बड़ी है और भुगतान कितना बड़ा है। गरीब पत्रकारों की सूचना विभाग तो सुनने से रहा और समाचार पढ़ने वाले सभी ऐसे हैं, जो केवल पीठ पीछे बात कर सकते हैं, या किसी को सलाह दे सकते हैं।
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गयी सूचना के उत्तर-
यदि आरटीआई में किसी बिंदु की सूचना विस्तृत हो और अवलोकन करना हो। लेकिन प्रार्थी अवलोकन नहीं करना चाहे और सभी दस्तावेज प्राप्त करना चाहे तो यह नियम है-
📘 नियम क्या कहते हैं?
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 7(4) और 7(9) इस स्थिति से संबंधित हैं।
- धारा 7(4):
यदि मांगी गई सूचना इतनी बड़ी या जटिल है कि उसे इकट्ठा करना मुश्किल है, तो PIO (लोक सूचना अधिकारी) आवेदक को रिकॉर्ड अवलोकन (inspection) करने का अवसर दे सकता है। - धारा 7(9):
सूचना उसी रूप में दी जाएगी जिसमें मांगी गई है, जब तक कि यह संभव हो और विभाग का कामकाज बाधित न हो।
🔹 यदि प्रार्थी अवलोकन नहीं करना चाहता
- आवेदक को यह अधिकार है कि वह कहे – “मैं अवलोकन नहीं करना चाहता, बल्कि पूरे रिकॉर्ड/दस्तावेज की प्रमाणित प्रतिलिपि चाहिए।”
- ऐसी स्थिति में PIO को कॉपी उपलब्ध करानी होगी (फोटोकॉपी/स्कैन/डिजिटल कॉपी), बशर्ते कि:
- रिकॉर्ड बहुत विशाल न हो,
- या विभागीय कार्य पूरी तरह बाधित न हो।
इस नियम से संबंधित जानकारी के लिए लोक सूचना अधिकारी जी का मार्गदर्शन लेना होगा। यदि पाठकों में से किसी को जानकारी हो तो कृपया कमेंट में बता दें।
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