
देहरादून। उत्तराखंड की ऐतिहासिक और आस्था से परिपूर्ण चारधाम यात्रा अपने समापन की ओर बढ़ रही है, लेकिन श्रद्धा और उत्साह का सिलसिला अब भी जारी है। इस वर्ष यात्रा ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए श्रद्धालुओं की संख्या के नए आयाम छू लिए हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 21 अक्तूबर तक चारधामों में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या 49.30 लाख से अधिक पहुंच चुकी है, और संभावना है कि तीन प्रमुख धामों—गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ—के कपाट बंद होने तक यह आंकड़ा 50 लाख का आंकड़ा पार कर जाएगा।
गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्तूबर को विधि-विधान के साथ बंद किए जा रहे हैं। मां गंगा की डोली परंपरा के अनुसार अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव के लिए प्रस्थान करेगी। वहीं, केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्तूबर को बंद होंगे। बदरीनाथ धाम के कपाट 6 नवंबर को बंद किए जाएंगे, जिसके बाद इस वर्ष की चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से समाप्त हो जाएगी। चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट खुलने के साथ हुई थी। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए। तब से अब तक छह महीनों में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से उत्तराखंड पहुंचे और भगवान के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया।
पर्यटन विभाग के अनुसार इस बार यात्रा सीजन में हर दिन औसतन 10 से 11 हजार श्रद्धालु धामों में पहुंच रहे हैं। मौसम सामान्य रहने और सड़क व्यवस्थाओं में सुधार के कारण इस बार तीर्थयात्रा अपेक्षाकृत सुचारू और सुरक्षित रही। विशेषकर गढ़वाल मंडल विकास निगम और प्रशासन की ओर से यात्रियों की सुविधा के लिए बनाई गई व्यवस्थाओं की सराहना की जा रही है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार, “इस वर्ष यात्रियों की संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक रही है। केदारनाथ और बदरीनाथ में विशेष भीड़ रही, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में भी रेकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।”
यात्रा के अंतिम चरण में ठंड बढ़ने और ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं के कदम धीमे नहीं पड़े हैं। प्रतिदिन हजारों तीर्थयात्री दर्शन के लिए लंबी दूरी तय कर रहे हैं। कई श्रद्धालु इसे “जीवन का सबसे पवित्र अनुभव” बता रहे हैं। जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि यातायात नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं, आवास व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर इस बार विशेष तैयारी की गई थी। मोबाइल हेल्थ यूनिट्स, इमरजेंसी कंट्रोल रूम और हेलीरेस्क्यू सेवाओं के कारण यात्रियों को बड़ी राहत मिली। केदारनाथ मार्ग पर पहले के मुकाबले हादसों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई।
चारधाम यात्रा ने इस बार न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी प्रदेश को मजबूती दी है। हजारों स्थानीय लोग होटल, टैक्सी, भोजनालय और पूजा सामग्री की दुकानों से जुड़े हुए हैं। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इस वर्ष यात्रा से उन्हें अच्छी आमदनी हुई है, जिससे पहाड़ी अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही प्रशासन अगले यात्रा सत्र की तैयारियों में जुट जाएगा। विशेषकर मार्गों की मरम्मत, डिजिटल पंजीकरण प्रणाली में सुधार और यात्री सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस प्रकार, चारधाम यात्रा 2025 न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बनी, बल्कि उत्तराखंड की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवनधारा को भी नई ऊर्जा देने वाली साबित हुई।