
पिथौरागढ़। सीमांत जिले में मिड-डे-मील योजना के तहत विद्यार्थियों की सेहत से खिलवाड़ का गंभीर मामला सामने आया है। कई स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को दिए जाने के लिए एक्सपायरी दूध भेजा गया। यह दूध पांच साल पुराना बताया जा रहा है और उस पर छपी उत्पादन एवं उपभोग की अंतिम तिथि दोनों ही गलत हैं।
मामला तब सामने आया जब शिक्षकों ने हाल ही में स्कूलों में पहुंचे दूध के पैकेट देखे। पैकेट पर उत्पादन तिथि 24 सितंबर 2020 और उपयोग की अंतिम तिथि 21 मार्च 2020 अंकित थी — यानी अंतिम तिथि उत्पादन तिथि से पहले की थी। शिक्षकों और अभिभावकों ने सवाल उठाया कि यह दूध आखिर कब और कैसे तैयार किया गया और इसकी गुणवत्ता की जांच किसने की।
जानकारी के अनुसार, जिले के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के करीब 12,000 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिन्हें सप्ताह में दो दिन 10-10 ग्राम फोर्टिफाइड दूध पाउडर गर्म पानी में मिलाकर दिया जाता है। बीते दिनों इसी दूध की आपूर्ति स्कूलों में हुई थी। अभिभावकों और शिक्षकों ने इसे विद्यार्थियों की सेहत के साथ गंभीर खिलवाड़ बताया और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) तरुण कुमार पंत ने बताया कि दूध आपूर्ति करने वाली कंपनी से बातचीत की गई है। कंपनी ने इसे प्रिंटिंग की गलती बताया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जाएगा और पूरे मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है।