
पिथौरागढ़। उत्तराखंड राज्य के निर्माण और यहां की लोकसंस्कृति के संरक्षण में अपना जीवन समर्पित करने वाले ‘उत्तराखंड के गांधी’ स्व. इंद्रमणि बडौनी की स्मृतियों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत पिथौरागढ़ जनपद के कनालीछीना और डीडीहाट विकासखंडों के प्रत्येक विद्यालय में इंद्रमणि बडौनी की तस्वीर लगाई जाएगी। मंगलवार को ब्लॉक संसाधन केंद्र, कनालीछीना के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में खंड शिक्षा अधिकारी हिमांशु नौगाई ने इस पहल की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि श्री बडौनी के शताब्दी वर्ष के अवसर पर यह अभियान चलाया जा रहा है।
पहले चरण में जिले के सभी माध्यमिक विद्यालयों को उनकी तस्वीर दी जा चुकी है, वहीं अब उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक भी तस्वीरें पहुँचाने का कार्य आरंभ कर दिया गया है। श्री नौगाई ने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों और भावी पीढ़ी को इंद्रमणि बडौनी के संघर्ष, त्याग और योगदान से परिचित कराना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 24 दिसंबर, जो कि बडौनी जी का जन्म दिवस है, उसे राज्य में ‘लोक संस्कृति दिवस’ के रूप में मनाने की परंपरा को और सशक्त बनाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
कार्यक्रम में मौजूद प्रभारी ब्लॉक समन्वयक एन.डी. पंत ने कहा कि इंद्रमणि बडौनी ने उत्तराखंड के जनआंदोलन को दिशा दी और यहां की लोक संस्कृति एवं जनभावनाओं को पहचान दिलाई। ऐसे व्यक्तित्व को विद्यालय स्तर पर बच्चों तक पहुँचाना बेहद जरूरी है, ताकि वे अपने आदर्शों से प्रेरणा लेकर समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी नागरिक बन सकें। इस अवसर पर कनालीछीना विकासखंड के 30 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापक भी उपस्थित रहे। शिक्षकों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम बच्चों में राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझने का अवसर देगा।
गौरतलब है कि इंद्रमणि बडौनी को उत्तराखंड राज्य आंदोलन का जननायक माना जाता है। उन्होंने लोक संस्कृति, जनजातीय अधिकारों और क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनकी याद में यह शताब्दी वर्ष विशेष रूप से मनाया जा रहा है, और शिक्षा विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम उनकी स्मृतियों को जन-जन तक पहुँचाने में मील का पत्थर साबित होगा। यह आयोजन केवल तस्वीरें लगाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके माध्यम से विद्यालयों में विशेष चर्चाएं, संगोष्ठियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करने की योजना है, ताकि छात्र-छात्राएं बडौनी जी के जीवन से गहराई से जुड़ सकें।