
नौ वर्ष की मासूम कशिश हत्याकांड… सुप्रीम कोर्ट की बरी करने की टिप्पणी पर बालिका के गृह क्षेत्र में भारी जनाक्रोश…
(राज शेखर भट्ट)
पिथौरागढ़ | पिथौरागढ़ जिले के बीसाबजेड न्याय पंचायत में नौ वर्ष की मासूम कशिश की हत्या और बलात्कार के आरोपी को दस साल बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्दोष करार देकर बरी करने की सूचना से पूरे क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है। घटना के बाद से ही बालिका के गृह क्षेत्र के ग्रामीणों में न्याय की मांग को लेकर असंतोष और चिंता की लहर है। आज भी बीसाबजेड न्याय पंचायत के कई ग्राम पंचायतों में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। ग्रामीणों ने मशाल जुलूस निकाला और न्याय पंचायत कुमालदा नाघर की ग्राम सभाओं मझेडा, खूना और नाघर में विशाल रैली आयोजित की। प्रदर्शनकारियों ने आरोपी को फांसी देने और मामले में तुरंत कार्रवाई करने की सख्त मांग की।
ग्रामीणों ने राज्य सरकार से इस मामले में तत्काल कदम उठाने की अपील की। ग्राम प्रधान अनीता चंद, संतोष चंद, दीपा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य शकुंतला देवी, शिक्षाविद रमेश चन्द रजवार, श्री बुद्धेश्वर, रामलीला कमेटी बीसाबजेड के संस्थापक सदस्य नरेंद्र सिंह घोटा, पूर्व प्रधान सरोज चन्द, पूर्व प्रबंधक इंटरमीडिएट कॉलेज दीपा तिवारी, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य प्रियंका घोटा, समाजसेवी भुवनेश्वरी चन्द, बबीता चन्द, समाजसेवी सुधीर चंद, रोहित चंद, बिमला, कमला चन्द, भगवान सिंह घोटा, सुधीर चन्द, बलबीर चन्द, पंकज चन्द, अशोक चन्द और शमशेर चन्द ने आरोपी के खिलाफ उचित कार्रवाई न होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
विरोध प्रदर्शन में क्षेत्र के सभी उम्र के लोग शामिल रहे। इसमें बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष और छोटे बच्चे भी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। ग्रामीणों का कहना है कि न्याय न मिलने पर वे सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे। स्थानीय सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ने तत्काल कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। उन्होंने न्यायालय से इस मामले में पुनर्विचार करने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग भी दोहराई।
स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। उनका मानना है कि यदि ऐसे अपराधियों को सजा नहीं दी गई, तो भविष्य में समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी। इस बीच पुलिस प्रशासन ने भी क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी है और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए निगरानी बढ़ाई है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि केवल सुरक्षा बढ़ाने से न्याय की उम्मीद नहीं पूरी होगी। उनका जोर मुख्य रूप से दोषियों को सजा दिलाने और कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने पर है।
आपकी आवाज़, हमारी आवाज…
बीसाबजेड न्याय पंचायत में हुई यह घटना समाज को न्याय और सुरक्षा की मूलभूत आवश्यकता की याद दिलाती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद यदि न्याय की भावना स्थानीय स्तर पर पूरी नहीं होती, तो लोगों में असंतोष और कानून व्यवस्था पर अविश्वास बढ़ता है। इस मामले में तत्काल, पारदर्शी और न्यायपूर्ण कदम उठाना राज्य सरकार और न्यायपालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी है। केवल सुरक्षा बलों को तैनात करना समाधान नहीं है; दोषियों को सजा दिलाना और भविष्य में अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कानूनी कार्यवाही जरूरी है।
‘‘देवभूमि समाचार’’
News Source : Jagdish Coloney, Pithoragarh.