
(कार्यालय संवाददाता, जोधपुर)
जोधपुर के वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार सुनील कुमार माथुर से हमारे संवाददाता ने जो साक्षात्कार लिया है, उसे पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है और आशा व्यक्त की जाती है कि साहित्य सृजन के क्षेत्र में आने वाली नई प्रतिभाएं इससे लाभान्वित होंगी।
प्रश्न: सुनील जी, आप पिछले पांच दशक से साहित्य सृजन और पत्रकारिता का कार्य कर रहे हैं और हर विषय पर खुलकर लिख रहे हैं। लिखते समय आपको कैसा लगता है?
उत्तर: श्रेष्ठ साहित्य सृजन का कार्य करना बहुत अच्छी बात है और यह समाज की उत्तम सेवा है। साहित्य सृजन करते समय साहित्यकार को दिल खोलकर लिखना चाहिए। जब दिल खुला होगा, तभी शब्दों का प्रवाह निर्बाध रूप से हो सकेगा और ऐसा लेखन होगा जिसमें किसी भी प्रकार का डर नहीं होगा, बल्कि आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच होगी। तब कलम धड़ल्ले से चलती रहेगी और तनाव, गुस्से, निराशा और मानसिक दबाव से मुक्त रहते हुए सुखद आनंद की अनुभूति होती है।
प्रश्न: क्या लेखन के लिए तनावमुक्त जीवन जरूरी है?
उत्तर: श्रेष्ठ साहित्य सृजन और निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकारिता के लिए पत्रकारों और साहित्यकारों के लिए तनावमुक्त जीवन होना अत्यंत आवश्यक है। उन पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए। वे स्वतंत्र होंगे तभी स्पष्ट रूप से खुलकर अपनी बात कह पाएंगे। दबाव में लिखा गया लेखन साहित्य नहीं, बल्कि लेखनी को बेचना कहा जा सकता है। इसमें अपनापन नहीं होता। ऐसे साहित्यकार केवल पेट भरने के लिए लिखते हैं। अतः साहित्य सृजन और निष्पक्ष, निर्भीक पत्रकारिता में रचनाकार पर किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए।
प्रश्न: क्या लेखन का कार्य नियमित रूप से होना चाहिए?
उत्तर: अगर आप नियमित रूप से लेखन करते हैं तो यह बहुत अच्छी बात है। नियमित लेखन से चिंतन-मनन की शक्ति बढ़ती है, ज्ञान बढ़ता है, लोगों से नए संपर्क बनते हैं और उनके अनुभव श्रेष्ठ साहित्य सृजन में सहायक होते हैं। साथ ही शब्दकोश का विकास होता है। दूसरों की पुस्तकें पढ़कर भी हम अपनी लेखनी का स्तर जान सकते हैं और नई दिशा प्राप्त होती है। इससे वात्सल्य भाव और नया बोध भी बढ़ता है। मां सरस्वती के आशीर्वाद से साहित्यकार अपने दुखों को भूल जाता है। कलम चलने पर वह धारा प्रवाह बहता है और समाज को नई दिशा दे देता है।
प्रश्न: साहित्य सृजन एक मेहनत का कार्य है?
उत्तर: जी हां, साहित्य सृजन के लिए बहुत चिंतन-मनन करना पड़ता है। यह मेहनत का कार्य है, और मेहनत के साथ धैर्य भी जरूरी है। धैर्य और मेहनत से किसी भी मंच पर पहचान बनाई जा सकती है। सर्वोत्तम रचनात्मक प्रदर्शन के लिए नवाचार के साथ आगे बढ़ना पड़ता है और पूर्व साहित्यकारों की सफलताओं की कहानियां साझा करनी पड़ती हैं।
प्रश्न: आप अधिकांशतया किन विषयों पर साहित्य सृजन करते हैं?
उत्तर: बाल जगत, महिला जगत, धर्म और अध्यात्म, महापुरुषों की जीवनियां, पुस्तक समीक्षा, पारिवारिक विषयों पर साहित्य सृजन करता हूं और कविताएं भी लिखता हूं।
प्रश्न: अब तक आपकी कितनी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं?
उत्तर: मैंने अभी तक कोई पुस्तक नहीं लिखी है। मेरी रचनाएं स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं और पाठक उनसे लाभान्वित हो रहे हैं, इसलिए पुस्तक की आवश्यकता नहीं पड़ी। लेखन मेरा शौक है, रोजी-रोटी का जरिया नहीं। पत्रकार बंधु सहयोग करते हैं, इसलिए पुस्तक की जरूरत नहीं। यह मेरी निजी राय है।
Nice
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