
जिनका आज जन्मदिन है : 22 अगस्त
सुनील कुमार माथुर
सदस्य, अणुव्रत लेखक मंच
33, वर्धमान नगर, शोभावतों की ढाणी, खेमे का कुआँ, पाल रोड, जोधपुर (राजस्थान)
कोरोना काल को हमने बहुत नजदीक से देखा। इस समय ने हमारे जीवन को संकट में डाल दिया और जीवन में कुछ समय के लिए विराम डालकर देश की समूची व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया। लोग एक-दूसरे से हाथ मिलाने से डरने लगे। जनता इतनी भयभीत हो गई थी कि किसी के हाथ का पानी भी नहीं पीती थी। इस काल में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला पत्रकारिता भी लड़खड़ा गई। वहीं अनेक छोटे व मंझोले समाचार पत्र और पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया और ऑनलाइन पत्रकारिता आरंभ हो गई, जो एक दुःख का विषय है। ऑनलाइन पत्रकारिता में वह आनंद नहीं है जो प्रिंट पत्र-पत्रिकाओं को हाथ में लेकर पढ़ने में है।
आजादी के वक्त की पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता थी। हमारे आजादी के दीवाने न केवल भारत माता को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराना चाहते थे बल्कि देश की जनता में आजादी का शंखनाद भी फूंकना चाहते थे। इस वजह से उन पर दोहरी जिम्मेदारी थी। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ और इसी अगस्त माह की 22 तारीख को आजादी की वर्षगांठ वाले माह में पत्रकार चन्द्रशेखर भट्ट के यहाँ राजशेखर भट्ट का जन्म हुआ।
चन्द्रशेखर भट्ट एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार के साथ ही एक आदर्श शिक्षक भी थे। इसलिए राजशेखर भट्ट को बचपन में ही आदर्श संस्कार प्राप्त हुए। स्वर्गीय पत्रकार चन्द्रशेखर भट्ट के आदर्श पदचिह्नों पर चलते हुए राजशेखर भट्ट ने भी पत्रकारिता को अपने व्यवसाय के रूप में चुना और निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता कर रहे हैं। वे एक निर्भीक, निडर, निष्पक्ष, ऊर्जावान और वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनकी कलम तलवार से भी तेज है। यही वजह है कि उन्होंने भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को अपनी लेखनी के जरिए आईना दिखा दिया।
संघर्षशील पत्रकार
वे बड़े ही संघर्षशील पत्रकार हैं। पत्रकारिता ही उनकी आजीविका है, जिसे वे निरंतर करते आ रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता की शाख को सदैव बनाए रखा। जब उत्तराखण्ड सरकार ने राजशेखर भट्ट को मान्यता प्राप्त पत्रकारों की श्रेणी में शामिल नहीं किया तब उन्होंने इसके लिए संघर्ष किया और आखिरकार सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, उत्तराखण्ड सरकार, जनपद देहरादून ने 17 मई 2025 को उन्हें मान्यता प्राप्त पत्रकारों की श्रेणी का प्रेस कार्ड जारी किया। यह पत्रकार राजशेखर भट्ट की एक बड़ी उपलब्धि है। कहने का तात्पर्य यह है कि संघर्षशील रहकर भी वे कभी टूटे नहीं, झुके नहीं।
मिशनरी पत्रकारिता
राजशेखर भट्ट की पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता है। वे समाज की हर ज्वलंत समस्या को उजागर करने में कभी पीछे नहीं रहते। उनके लिखे सम्पादकीय सटीक और चिंतन-मनन योग्य होते हैं। उनमें तनिक भी लाग-लपेट नहीं होती, बल्कि कटु सत्य होता है। आज देश के बड़े-बड़े समाचार पत्र विज्ञापन पाने के लिए पीत पत्रकारिता कर रहे हैं, इसके बावजूद राजशेखर भट्ट अपने रचनात्मक मिशन पर चल रहे हैं और पीत पत्रकारिता से कोसों दूर हैं। राजशेखर भट्ट ने सदैव नए लेखकों और पत्रकारिता में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रोत्साहित किया और आज भी कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा देवभूमि समाचार पत्र के पटल पर व इंडियन आइडल पत्रिका में पाठकों और रचनाकारों को गौरवमय स्थान दिया। विभिन्न विषयों पर लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित कर उन्हें सम्मान पत्र भी प्रदान किया।
समय-समय पर वे हौसला-अफजाई भी करते रहे। वे केवल साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक सच्चे इंसान, सच्चे मित्र, पत्रकार और अपने साथियों को सही पथ दिखाने वाले शिक्षक भी हैं। देवभूमि समाचार पत्र ने हमेशा मूल्यों की लड़ाई लड़ी है। यही वजह है कि पत्रकार स्व. चन्द्रशेखर भट्ट द्वारा लगाया गया पौधा आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है। जून 2025 से राजशेखर भट्ट ने रचनाकारों की रचनाओं के साथ संपादकीय टिप्पणियाँ लिखना आरंभ कर दिया और रचनाओं को अधिक से अधिक पाठकों के पढ़ने योग्य बनाने के लिए आवश्यक संशोधन भी करना शुरू किया। यह उनका नवीनतम प्रयोग है, जो आज तक किसी पत्र-पत्रिका में देखने को नहीं मिला। यह उनकी अनोखी पहल है, जो स्वागत योग्य है।
परोपकार का भाव
भट्ट के मन में सदैव परोपकार का भाव देखा गया है। सेवा का भाव उनमें कूट-कूट कर भरा है। इसी कारण उनका रुझान पत्रकारिता की ओर हुआ और वे साहित्य सृजन एवं पत्रकारिता के माध्यम से समाज की सच्ची व उत्कृष्ट सेवा कर रहे हैं। आमजन में साहित्य के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होंने अपने स्तर पर अनेक प्रयोग किए और साहित्यकारों की एक टीम तैयार की। श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए राजशेखर भट्ट आज भी प्रयासरत हैं और साहित्यकारों में साहित्य सृजन का अलख जगाने का प्रयास करते रहते हैं।
गीत-संगीत प्रेमी
उनका जीवन एक खुली किताब है। उन्हें पत्रकारिता के अलावा गीत-संगीत, भ्रमण और नए-नए प्रयोग करने का भी शौक है। अपने साथी मित्रों के बीच वे हंसी-मजाक भी करते रहते हैं और शंकाओं का समाधान करने से भी नहीं हिचकिचाते। रचनाकारों का मार्गदर्शन कर उन्हें नई दिशा प्रदान करते हैं। वे पत्रकारिता के जरिए समाज की निस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं, जो अतुलनीय है।
उनकी कार्यशैली, व्यवहार कुशलता, सकारात्मक सोच, नेतृत्व एवं संगठन निर्माण की क्षमता, दूरदर्शिता और समर्पण वंदनीय व सराहनीय है। उनकी सादगी, शालीनता, सहृदयता और सहिष्णुता वास्तव में हमें उनके साथ कार्य करने के लिए सतत प्रेरित करती है। यही वजह है कि जो व्यक्ति एक बार राजशेखर भट्ट के संपर्क में आ जाता है, वह सदा उनका होकर रह जाता है। वे जितने सिनेमा प्रेमी हैं, उतने ही साहित्य प्रेमी भी हैं।
मैं देवभूमि समाचार पत्र के संपर्क में सितम्बर 2019 में आया और मेरी पहली रचना 30 सितम्बर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर प्रकाशित हुई। उसके बाद से निरंतर रचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं और अब तक करीब 900 से भी अधिक रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें पुस्तक समीक्षा, महिला जगत, राजनीति, जन-समस्याओं पर संपादक के नाम पत्र, व्यंग्य, स्मृति शेष, जयंती व पुण्यतिथि पर आलेख आदि सम्मिलित हैं। राजशेखर भट्ट ने हमेशा मार्गदर्शन किया और हौसला-अफजाई भी की। वे मेरे प्रति बेहद स्नेह रखते हैं और मेरे मन में उनके प्रति विशेष लगाव है। वे समय-समय पर साहित्यकारों का मार्गदर्शन भी करते रहते हैं।
पत्रकार राजशेखर भट्ट अपने पत्रकारिता के मिशन में सदैव कामयाब हों, यही हमारी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ हैं।