
सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
परमात्मा ने हमें एक मुख व दो कान दिये हैं। इसका मतलब यह है कि हम कम बोलें और अधिक सुनें। लेकिन आज इसका उल्टा ही हो रहा है। लोग बोलते तो जरूरत से अधिक हैं, मगर सुनने को तैयार नहीं है। कई लोग ऐसे हैं जो इतना बोलते हैं कि सामने वाला सुनते-सुनते थक जाता है मगर बोलने वाला ऐसे बोलते जाता हैं मानों वह इंसान नहीं चाबी वाला खिलौना है और जब उसकी चाबी खत्म होगी तभी वह चुप होगा।
अतः अनावश्यक रूप से बोलते रहने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है। सामने वाले की भी बात सुनें। आखिर वह भी इंसान है और अपनी बात कहना चाहता है। जहां तक हो सके कम शब्दों में अधिक बात कीजिए। चूंकि आज के समय में हर व्यक्ति अपने आपकों बीजी कहता है, ऐसे में जब आप ही आप बोलते रहेंगे तो लोग आपको आपके नाम से नहीं बल्कि गपूड़ा समझेंगे, अपनी गरिमा को बनाए रखना आपके हाथ में है। अतः सभी को बोलने का अवसर दीजिए।
वैसे भी आज जमाना काफी बदल गया है। लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता व बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। यह कैसी विडम्बना है। जिन्होंने आपको जन्म दिया, लालन-पालन किया, आपको शिक्षा दिलाकर रोजगार लायक बनाया, वे ही माता-पिता आज आप से बात करने को तरस रहे हैं। एक ही परिवार में रहते हुए वे अपने आप को पराया समझ रहे हैं, आखिर क्यों? कहां गई इंसानियत, कहां गई मानवता, प्रेम और स्नेह की भावना।
एक दिन व्हाट्सएप देख रहा था, तभी एक वीडियो देखने को मिला कि एक समय था जब लोग रेलवे स्टेशन पर अपने परिजनों व रिश्तेदारों को छोड़ने जाते थे तो आंखों में आंसू आ जाते थे, लेकिन अब रेलवे स्टेशन पर तो क्या, जब शमशान भूमि पर किसी का अंतिम संस्कार हो रहा होता है, तो भी लोगों की आंखों में आंसू नहीं आते हैं और लोग वहां बैठे-बैठे व्हाट्सएप चलाते रहते हैं या अनावश्यक रूप से गप्प-शप्प करते रहते हैं। समय को देखते हुए ऐसा लगता है कि न जाने हमारे अनमोल आंसू कहां चले गये। अब तो हंसना व रोना भी एक लोक दिखावा हो गया है और लोग घड़ियाली आंसू बहाकर इतिश्री कर रहे हैं।
इतना ही नहीं, आज अधिकांश डिलीवरी सीजेरियन के साथ हो रही है और मृत्यु वेंटिलेटर पर हो रही है। जीवन में कितना बदलाव आ गया है। कभी-कभी लोग मजाक में कहते हैं कि मृत्यु से पूर्व हॉस्पिटल जाना टोल टैक्स चुकाने के समान है। इस बात में कितनी सच्चाई है, मुझे नहीं मालूम। लेकिन जमाना काफी बदल गया है। आज अपने ही पराये हो गये हैं, तो फिर दूसरों से क्या उम्मीद करें। अतः समय के साथ चलिए और अपने आप को मोबाइल की तरह अपडेट करते रहिए।
Nice article