
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर (राजस्थान)
स्नेह वह मीठा फल है जो यदि किसी को दिया जाए तो सर्वोत्तम उपहार बन जाता है और यदि किसी से मिल जाए तो वह सर्वोत्तम सम्मान होता है।यह बात बिल्कुल सटीक है, लेकिन आज की इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कोई किसी का नहीं रहा। सभी लोग सम्मान तो पाना चाहते हैं, पर स्नेह—जो असल उपहार है—देना नहीं जानते।क्योंकि क्रोध उनकी नाक पर हर समय चढ़ा रहता है।स्नेह से भरे मधुर बोल बोलने में कोई खर्च नहीं आता, फिर भी न जाने क्यों लोग कटुता भरे व्यवहार से ही पेश आते हैं।ऐसे लोगों की समस्या क्या है? क्यों वे सदैव नकारात्मक सोच में डूबे रहते हैं?
जब जीवन मिला है तो उसे हँसते-खेलते, मुस्कुराते हुए जीना चाहिए।हमारी ज़िंदगी के तीन पृष्ठ हैं—जिसमें पहला पृष्ठ जन्म और अंतिम पृष्ठ मृत्यु का लेखा-जोखा परमात्मा पहले ही भर चुके हैं।बीच का पृष्ठ हमारे हाथ में है, जिसे हमें प्रेम, स्नेह, धैर्य, सहनशीलता, शालीनता, त्याग, ममता, वात्सल्य और संयम जैसे गुणों से भरना है। आईए, एक कदम हम बढ़ाएं और एक कदम आप।फिर देखिए, जीवन आनंदमय हो जाएगा।इस संसार में जब तक भी जिएं, प्रेमपूर्वक व्यवहार करें और हर किसी का दिल जीतें।
विवेकवान व्यक्ति वही होता है जो जीवन की प्रत्येक परिस्थिति, वस्तु, व्यक्ति और अवस्था को अपने अनुकूल बना लेता है।तो हम क्यों नहीं कर सकते? जीवन अत्यंत अनमोल है।जो व्यक्ति अपने जीवन को परमात्मा की भक्ति में लगा देता है, उसका कल्याण निश्चित होता है।भक्ति में जो आनंद है, वैसा सुख संसार की किसी भी वस्तु में नहीं है। कहते हैं—”अच्छों के साथ अच्छा बनो, पर बुरों के साथ बुरा नहीं।”क्योंकि हीरा ही हीरे को तराश सकता है, लेकिन कीचड़ से कीचड़ को साफ नहीं किया जा सकता।
कभी भी खाली न बैठें, बल्कि हर समय कुछ न कुछ नया सीखते रहें।हर किसी की सुनें, हर किसी से सीखें, चाहे वह हमसे छोटा हो या बड़ा।हर कोई सब कुछ नहीं जानता, लेकिन हर कोई कुछ न कुछ अवश्य जानता है। सीखने में शर्म नहीं करनी चाहिए, बल्कि उत्साह और उमंग के साथ हर नए काम को अपनाना चाहिए।जो व्यक्ति अहंकार में डूबा रहता है, वह जीवन भर पछताता है। कहा गया है कि—चाहे इंसान कितना भी प्रयत्न कर ले, अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया और अंत समय में माया—कभी किसी का साथ नहीं देती।
इसलिए श्रेष्ठ यही है कि हम स्नेह, ज्ञान, विनम्रता और भक्ति को अपना सर्वोत्तम उपहार समझें और इसे बांटते चलें।यही जीवन का सार है।
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Nice article