
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर (राजस्थान)
जीवन में कभी भी किसी का बुरा न करें और न ही किसी के बारे में बुरा सोचें।क्योंकि जो जैसा कर्म करता है, परमात्मा उसे वैसा ही फल समय आने पर देते हैं।उस सजा का उसे पता भी नहीं चलता, क्योंकि जब परमात्मा की लाठी चलती है, तो उसकी कोई आवाज नहीं होती।इसलिए हमेशा अच्छा सोचें, क्योंकि गलत तो यह दुनिया अपने आप सोच लेती है। एक बात सदैव याद रखें—बुराई वही लोग करते हैं जो बराबरी नहीं कर सकते। जीवन में सब कुछ नहीं मिलता, इसलिए कुछ चीजें मुस्कुराते हुए छोड़ देना भी एक कला है।
कहते हैं कि अहम से ऊंचा कोई आसमान नहीं और किसी की बुराई करने जैसा आसान कोई काम नहीं।यही कारण है कि आज लोग घंटों एक-दूसरे की बुराई करते रहते हैं, लेकिन उन्हें इससे कुछ भी हासिल नहीं होता।यदि यही समय ईश्वर की भक्ति में लगाएं, तो निश्चित ही कल्याण होगा। तोहफे में घड़ी तो हर कोई दे देता है, लेकिन वक्त वही देता है जो सच्चे रिश्ते निभाना जानता है। इसलिए हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं—जिसे हृदय में स्थान दो, उसका ध्यान स्वयं से भी अधिक रखना चाहिए।
दौलत तो विरासत में भी मिल सकती है, लेकिन पहचान अपने बलबूते पर बनानी पड़ती है।जीवन में न तो कभी क्रोध करें और न ही अपने पद, धन, रूप या योग्यता पर अहंकार करें।क्योंकि समय बदलते देर नहीं लगती।हर वक्त एक जैसा नहीं रहता।कब राजा सड़क पर आ जाए और कब एक साधारण व्यक्ति अमीर बन जाए, कोई नहीं जानता। रूप का घमंड व्यर्थ है, क्योंकि जवानी ढलते ही चेहरे पर झुर्रियाँ आ जाती हैं।इसलिए शांति और सद्भाव के साथ हँसते-मुस्कुराते आदर्श जीवन जीना चाहिए।
हमेशा भक्ति के मार्ग पर चलें और ईश्वर का हाथ थामे रहें, फिर कभी जीवन में किसी के पाँव पकड़ने की नौबत नहीं आएगी।गिफ्ट केवल भौतिक वस्तुएँ नहीं होतीं—प्यार, स्नेह और आदर-सत्कार भी अनमोल उपहार होते हैं। कभी किसी को इन्हें देकर देखिए, आपको भीतर से संतोष और आनंद की अनुभूति होगी। यदि मेहनत आपकी आदत बन जाए, तो कामयाबी आपका मुकद्दर बन जाती है।पर अफसोस कि आज की युवाशक्ति मेहनत से कतराती है।
कहा गया है—पानी में डूबे तो मृत्यु निश्चित है, लेकिन भक्ति में डूबे तो मुक्ति निश्चित है। अतः कुछ समय परमात्मा की पूजा, अर्चना, सत्संग, कथा और भजनों में अवश्य लगाएँ—आपका कल्याण होगा। रिश्तों को निभाने की केवल एक ही शर्त है—किसी की कमियाँ नहीं, उसकी अच्छाइयाँ देखिए। और दूसरों की खुशी देखकर यदि आपका मन आनंदित होता है, तो समझिए आपका मन स्वस्थ है। जीवन को नेक कार्यों में लगाइए।पानी की हर बूँद का सम्मान कीजिए—चाहे वह आसमान से गिरे या आँखों से।
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Nice article