
- “एक कर्मयोगी की अमर गाथा: श्रद्धांजलि स्व. चन्द्र शेखर भट्ट को”
- “पत्रकारिता के प्रहरी, समाज के पथप्रदर्शक: स्व. भट्ट का प्रेरक जीवन”
- “सादा जीवन, उच्च विचार: चन्द्र शेखर भट्ट की जीवंत विरासत”
- “लेखनी के योद्धा: स्व. भट्ट का जीवन और संदेश”
- “स्व. चन्द्र शेखर भट्ट: विचार, संघर्ष और सेवा का प्रतीक”
सुनील कुमार माथुर
(स्वतंत्र लेखक और पत्रकार) जोधपुर, राजस्थान
जीवन जीना भी एक कला है और जिसने इस कला को सीख लिया समझों उसने जीवन को सही ढंग से जीना सीख लिया हैं और अब उसे उसकी ऊंचाइयों तक पहुंचाने से कोई नहीं रोक सकता हैं चूंकि वह यह बात सीख गया हैं कि आगे बढना हैं तो हर परिस्थितियों में हमें समान बने रहना हैं और अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए कुछ नया करना होगा चूंकि जीवन में उतार व चढाव आते ही रहते है इसलिए व्यक्ति को कभी भी घबराना नहीं चाहिए और सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगे बढते रहना चाहिए और संकट आता हैं तो वह हमेशा हमें कुछ न कुछ नई बात सीखा जाता हैं और जो व्यक्ति हिम्मत रखकर संकट की घडी से एक बार निकल जाता हैं वह सदा के लिए आगे बढ जाता हैं। पत्रकार स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट का मानना था कि जीवन में अर्जित किया गया ज्ञान का उपयोग परिवार, समाज व राष्ट्र के उत्थान में करना चाहिए।
वे सच्चे अर्थों में लोकतंत्र के सजग प्रहरी थे। वे जनता-जनार्दन की आवाज थे और जनता की समस्याओं को प्रशासन और सरकार के समक्ष प्रस्तुत करते थे और जब तक उनका समाधान नहीं हो जाता तब तक वे चैन की सांस नहीं लेते थे। उनका कहना था कि एक स्वतंत्र मीडिया ही लोकतंत्र को सशक्त बना सकता हैं। उन्होंने मिशनरी पत्रकारिता के जरिए जो अलख जगाया वह किसी से छिपा नहीं है। उनका जीवन संघर्ष और सिध्दांतों की मिसाल रहा। उनकी लेखनी ने न केवल पत्रकारिता की दिशा बदली अपितु लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूती प्रदान की।
कभी भी हिम्मत नहीं हारी
ऐसा ही कर दिखाया हमारे पत्रकार साथी स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने। शिक्षक व पत्रकार स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने अपने जीवन काल में कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने कठिन परिस्थितियों का भी दृढता के साथ सामना कर युवाओं के समक्ष एक आदर्श मिसाल रखी। शिक्षक और पत्रकार दोनों का मिशन राष्ट्र के नव निर्माण का होता है, बस इसी ध्येय वाक्य को लेकर उन्होंने एक आदर्श शिक्षक के रूप में ख्याति अर्जित की। वहीं दूसरी ओर पत्रकारिता का कर्म भी उन्होंने बखूबी निभाया। उन्होंने कभी भी अपनी कलम का सौदा नहीं किया अपितु उसका दबंगता के साथ निष्पक्ष और निर्भीक होकर राष्ट्र के विकास व उत्थान के लिए ही किया।
कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं
वे एक आदर्श शिक्षक थे और पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ बच्चों को पढाया। उन्होंने विधार्थियों को न केवल किताबी ज्ञान ही दिया वरन् व्यवहारिक ज्ञान देकर विधार्थियों को आदर्श संस्कार दिये। वे शिक्षक होने के साथ ही साथ एक आदर्श मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक भी थे। उनकी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं था। शैक्षणिक कार्य के अलावा उन्होंने पत्रकारिता भी की। वे एक आदर्श, निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकार थे। उनकी लेखनी में दम्भ था। वे सदा सत्य लिखा करते थे। यही वजह हैं कि उनके लिखे लेखों व सम्पादकीय को पाठक गौर से पढा करते थे चूंकि वे सटीक व सारगर्भित आलेख व संपादकीय लिखा करते थे। यही वजह है कि बुद्धिजीवी विधार्थी उनके विचारों को अपने उत्तर में आवश्यकता के अनुसार उदाहरण (उल्लेख) करते थे।
सदैव रचनाकारों का मनोबल बढाया
स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने जन समस्याओं को उजागर करने में भी अपनी महती भूमिका निभाई। यही वजह है कि देवभूमि समाचार पत्र ने पाठकों, प्रशासन व सरकार के बीच में सदैव एक रचनात्मक पूल की भूमिका निभाई। स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने सदैव नये रचनाकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया और हर रचनाकार को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने हर रचनाकार की कलम को धार दी और अपने पत्र में प्रमुखता के साथ स्थान देकर उनका मनोबल बढाया उन्होंने काम को ही अपनी पूजा माना।
लेखन उनके लिए मां सरस्वती की आराधना था। वे कहते थे कि सदैव रचनात्मक लेखन करना चाहिए जिससे समाज व राष्ट्र को एक नई दशा और दिशा मिल सके। इतना ही नहीं, लेखन के माध्यम से हम समाज में एक तरह से सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है। राष्ट्र के विकास और उत्थान के लिए हिम्मत से कार्य करना चाहिए। सहयोग सभी कर सकते है लेकिन साहस आपको खुद को ही दिखाना होगा। जीवन की सार्थकता तभी है जब आपके कार्यों से समाज में सकारात्मकता आये।
मिशनरी पत्रकारिता कर एक मिसाल कायम की
स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट पीत पत्रकारिता से सदा दूर रहें। उनकी पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता थी। वे तो स्वंय अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, तानाशाही व जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अग्रिम पंक्ति में हर वक्त खडे रहते थे। यहीं वजह है कि हर कोई देवभूमि समाचार पत्र का दीवाना था और आज भी हैं। स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने मिशनरी पत्रकारिता कर समाज के सामने एक आदर्श व अनूठी मिसाल कायम की है।
कभी भी किसी के समक्ष झुके नहीं, टूटे नहीं
उनके वक्त में आज की तरह की इतनी सारी सुविधाएं मीडिया के पास नहीं थी फिर भी छोटे व मंझोले समाचार पत्र के जरिये समाज सेवा का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक कष्ट झेले लेकिन अपने चेहरे पर कभी भी उस पीड़ा या दुःख को झलकने नहीं दिया। आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने के बाद भी वे कभी किसी के आगे झुके नहीं, टूटे नहीं व बिके नहीं चूंकि समाज व राष्ट्र की सेवा करना ही उनका मूल उद्देश्य रहा यही वजह है कि आज देवभूमि समाचार पत्र एक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की श्रेणी में गिना जाता हैं।
सदा संघर्षशील रहे
वे अपनी कार्यशैली के लिए जाने जाते थे। वे छोटे और मंझोले समाचार पत्रों के हितों के लिए सदैव संघर्षशील रहे और पत्रकारों के हितों के लिए सदैव अग्रणीय पंक्ति में खड़े रहे। उन्होंने अपने जीवन-काल में पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। ऊर्जावान होने के साथ ही साथ वे दबंग छवि वाले पत्रकार थे।
आठ जून को उनके जन्म दिन पर हम सभी रचनाकार उन्हें नमन करते हैं
और यहीं प्रार्थना करते हैं कि वे परलोक में जहां भी हो अपना आशीर्वाद हम पर बनायें रखें व हमें सदैव मार्गदर्शन देते रहें ताकि सकारात्मक सोच के साथ हम अपने मिशन में आगे बढते रहें। उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था। वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे। देश की गंदी राजनीति से सदा दूर रहें।
पत्रकारिता जगत की महान हस्ती थे
वे शिक्षकों व पत्रकारों के मित्र, गुरु, मार्गदर्शक, सलाहकार व मददगार थे। स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने अपने हौसले व हुनर से शिक्षा व पत्रकारिता जगत की महान हस्ती बने और इन क्षेत्रों का मान बढाया। साथ ही साथ युवाओं को प्रेरित करते हुए नई राह दिखाई और सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में कदम-दर-कदम मदद की।
स्व0 भट्ट का जीवन स्वच्छ व निर्मल था। समझो गंगा जैसे पवित्र थे। वाणी में हरदम राम नाम, सेवा का भाव हृदय में था, परिवार के वट वृक्ष को संस्कार के जल से सींचा था। आपका जीवन हमेशा सभी को प्रेरित करता था। उन्होंने सेवा और सादगी के आदर्श को अपने जीवन में साकार कर दिखाया। वे सरल स्वभाव के धनी थे। सादा जीवन और उच्च विचारों को अपना कर उन्होंने सादगी की मिसाल कायम की। वे एक तरह से आध्यात्मिक गुरु थे, यहीं वजह है कि आपके अमिट सेवा कार्य युगों-युगों तक उजियारा करेंगे।
15 अगस्त 2016 का दिन वह कुसमय था
जब यह महान विभूति इस नश्वर संसार को छोड़ कर परलोक सिधार गयी। अपने समस्त सेवा भाव, भक्ति, अध्यात्म, मिलनसार व मददगार व्यक्तित्व की छाप हमारे दिलों पर छोड़ कर सदा-सदा के लिए परमपिता परमेश्वर की दिव्य ज्योति में विलीन हो गये।
नियति ने असमय ही आपकों हम से छीन लिया
आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायी हैं। आपके आदर्श सभी के लिए एक प्रकाश स्तम्भ की तरह हैं। आप ही हमारी प्रतिष्ठा, सम्मान एवं ताकत है। हमें हर पल यहीं अहसास होता हैं कि आप हमारे साथ हैं। आपकी यादों की अमूल्य धरोहर हमें जिन्दगी की हर जंग जीतने की ताकत और प्रेरणा देती हैं। जब भी कभी जिन्दगी में खुशियों के अवसर आते हैं, आंखें भर आती हैं और आपकी याद आती हैं।
हमारे प्रेरणा स्रोत थे
स्व0 भट्ट हमारे प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। वे स्वंय में एक आन्दोलन थे। वे एक सच्चे कर्मयोगी थे। शिक्षा, पत्रकारिता व संस्कारों के साथ साहित्य में उनकी गहरी रूचि थी। वे अत्यंत सरल स्वभाव, धार्मिक प्रवृत्ति, सिध्दांतों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। दृढ मनोबल व कर्मठ व्यक्तित्व ही उनकी एक स्थाई पहचान है।
वे सम्पूर्ण मानव जाति के संरक्षक, समाजसेवी, निर्भीक, विचारवान व सत्य एवं अहिंसा के प्रबल प्रहरी थे। जाति, धर्म, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर समाज को नैतिकता के उच्च विचार प्रदान किये। अपने विवेक और नैतिक बल से इंसान और इंसानियत को संवारा सजाया। इंसानियत को समर्पित इस महान विभूति की क्षतिपूर्ति असंभव है। बिरले ही लोग हुआ करते हैं जो अपनी यादों को संसार में छोड़ जाते हैं। उनका जीवन जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए समर्पित रहा।
संक्षेप में वे एक कर्मयोगी, क्रांति के पुरोधा, शांति के दूत, पथप्रदर्शक और संरक्षक थे। आप एक ज्योति पूंज के रूप में सदैव हमारे पथ प्रदर्शक बने रहेंगे। आपकी विद्वता, विराट व्यक्तित्व, मृदु स्वभाव व प्राणी मात्र के लिए असीम स्नेह हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व से पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में जो अमिट छाप छोड़ी है उसका कोई सानी नहीं है। आपका जीवन दर्शन हमारी सभी आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहे। आपके जन्म दिन पर आपको बारम्बार नमन करते हैं। आपका आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहे।
Nice article