
लेखक गाँव : उत्तराखंड की संस्कृति और साहित्य का साकार रूप… उन्होंने बताया कि लेखक गाँव में एक भव्य पुस्तकालय होगा, जिसमें विश्व के सभी महान साहित्यकारों के साहित्य का संग्रह होगा। यह एक प्रमुख शोध केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां शोधार्थियों और साहित्यकारों को अपनी रचनाएँ तैयार करने के लिए आदर्श वातावरण मिलेगा।
[/box]डोईवाला। उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर भी अद्वितीय है। खासतौर पर, यहां के घरों में काष्ठ कला (लकड़ी की नक्काशी) की विरासत एक प्रमुख आकर्षण रही है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में यह कला सदियों से चली आ रही है, जिसमें देवी-देवताओं, विभिन्न डिज़ाइनों और सांस्कृतिक प्रतीकों की नक्काशी की जाती थी। यह न केवल सौंदर्य का प्रतीक थी, बल्कि समाज में इसे एक स्टेटस सिम्बल के रूप में भी देखा जाता था।
लेकिन आज, आधुनिकता की दौड़ में, यह काष्ठ कला कहीं खो गई है। अब इस कला की झलक बहुत कम देखने को मिलती है। ऐसे में उत्तराखंड के थानों गाँव में बन रहा “लेखक गाँव” इस समृद्ध धरोहर को फिर से जीवित करने का प्रयास कर रहा है। यहाँ देवदार की लकड़ी से बने दरवाजे और पहाड़ों की पटालों से बने भवन इस खोती हुई कला का प्रतीक हैं। पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सविता मोहन और पूर्व प्राचार्य डॉ. के.एल. तलवाड़ ने लेखक गाँव जाकर चल रही तैयारियों का निरीक्षण किया।
इस दौरान प्रो० सविता मोहन ने कहा कि लेखक गाँव की स्थापना का विचार देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेरणा से लिया गया है। इस विचार को साकार रूप देने का श्रेय उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को जाता है। लगभग 25 बीघा भूमि में थानों के पास बन रहा यह गाँव साहित्य और संस्कृति का अनूठा संगम होगा।
उन्होंने बताया कि लेखक गाँव में एक भव्य पुस्तकालय होगा, जिसमें विश्व के सभी महान साहित्यकारों के साहित्य का संग्रह होगा। यह एक प्रमुख शोध केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां शोधार्थियों और साहित्यकारों को अपनी रचनाएँ तैयार करने के लिए आदर्श वातावरण मिलेगा। इसके अतिरिक्त, संग्रहालय में उत्तराखंड की मूर्तिकला, वाद्य यंत्र, वस्त्र, रीति-रिवाज और स्वतंत्रता सेनानियों की जीवन-गाथाओं का चित्रण किया जाएगा, जिससे उत्तराखंड की संस्कृति और इतिहास को करीब से समझा जा सकेगा।
प्रो० के०एल०तलवाड़ ने कहा कि यह लेखक गाँव साहित्यकारों के लिए रचनात्मक केंद्र होगा।उनके अनुसार, लेखक गाँव में लेखकों को एक विशिष्ट और प्रेरणादायक वातावरण मिलेगा, जहां वे अपनी रचनात्मकता को नया आयाम दे सकेंगे। लेखक कुटीरों में लेखकों के लिए आवासीय सुविधाएं होंगी, साथ ही योग, ध्यान और चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी, जो लेखकों को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाएंगी।
इस साहित्यिक केंद्र में उत्तराखंड की कला, संस्कृति और इतिहास का समग्र चित्रण होगा, जो आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। लेखक गाँव एक ऐसा स्थान होगा, जहां साहित्य और संस्कृति के माध्यम से उत्तराखंड की आत्मा को न केवल संरक्षित किया जाएगा, बल्कि उसे और समृद्ध भी किया जाएगा। इस दौरान हिंदी शोधार्थी अंकित तिवारी भी मौजूद थे।
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