
आशुतोष
8 अगस्त वह दिन जब हमने आजादी के लिए एक जबर्दस्त नारा दिया था “करो या मरो” अंग्रेजों भारत छोड़ो” जिसका आज 80वीं वर्षगांठ भी है।कभी कभी एक छोटी घटना भी बड़ँ आन्दोलन का रूप ले लेती है ।अगस्त क्रांति आजाद भारत के लिए मील का पत्थर सावित होगा यह किसी ने सोचा भी न था।उस समय के हुक्मरान ने इसे हल्के में लेकर भूल की थी, लेकिन देखते ही देखते यह भारत की हर जुवां पर बजने लगी और यहीं से यह एक आन्दोलन में बदल गयी और भारत वर्ष की जुबान बन गयी और अंग्रेजो के भय का कारण।
आजादी के पचहत्तर साल में भारत ने लगातार तरक्की की है पहले हम पेट भरने को सोचते थे आज दुनिया हमारी तरफ भूखी नजरो से देखती है और हम उसे भी पेट भरते जा रहे हैं।अभी हाल के दिनो में रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने भूखे देश के लिए खाद्यान्न की मदद दी है ।भारत हमेशा से ही मानवीय सहायता सभी को देता रहा है।लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज भी लगभग 20 करोड़ की एक बडी आबादी भरपेट भोजन नही कर पाती।
भारत ही वह देश है जहाँ अलग अलग भाषा पग- पग बदलती संस्कृति और उनमें सभी को अपने अधिकार।यह अजूबा संग्रह कही नहीं मिलता। जहाँ पृथकतावादी विचार हो लेकिन सभी को आजादी, लिखने, बोलने, रहने और अपने अपने धर्म की रक्षा करने का विशेष अधिकार संविधान से प्राप्त हो। सचमुच बड़ा ही कठिन और अचंभित करनेवाला है। यहाँ के पर्व-त्योहार, सभ्यता, संस्कृति की अनोखी मिशाल दुनियाभर में प्रसिद्ध है कई ऐसे पर्व हैं जो विदेश में भी प्रचलित हो गयी है।
भारत का इतिहास गौरवशाली है जिसमें शास्त्र, पुराण, वेद, रामायण, महाभारत, गीता जैसे धर्म ग्रंथ है। हजारो वीरों का इतिहास है ।देव, दानवो मानवो, महात्मा ऋषि मुनियो का वर्णन है ।योग आर्युवेद जैसे स्वास्थ्य पद्धति है। इतने सारे गुण को सहेजना और सभी को एक जैसा अधिकार देना कोई सहज काम नही होता लेकिन देश के चारो स्तम्भ ने अबतक इसे बड़ी अच्छी तरह से संचालित कर देश का मान दुनिया के मंचो पर स्थापित कर एक जिम्मेदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।जिसके बदौलत आज भारत दुनिया में अपना लहरा रहा है।
भारतीय लोकतंत्र सही मायने में अदभूत और विश्वसनीय कार्य कर रहा है जो देश को हरपल गौरवान्वित करता रहा है। स्वतंत्रता संग्राम जो लंबी अवघि तक चली जहाँ मंगल पाण्डे,रानी लक्ष्मी बाई, वीर कुंवर सिंह , भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, गांधी, सुभाष, या पटेल जैसे महापुरुषों ने इस संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी उनका मकसद एक था आजादी, जो हमें मिली। इन सबके लंबी संघर्ष को शायद इन बीते वर्षो में पढ़कर लिखकर सुनकर भी आज हमलोग उनके विचारो का अनुसरण नही कर पाये यह बड़ी बात है।आज जरूरत इसी बात की है।
आज लोग इस लोकतंत्र पर विश्वास और आस्था के साथ अपने जान से ज्यादा विश्वास करते हैं। भारत एक विशाल जनसमूह, जो विभिन्न परम्पराओ और विविधताओं से भरा रहा है फिर भी हम सब को एक माला में पिरोकर मजबूती के साथ आगे बढा रहा है।जिसमें संविधान और संसद की अहम भूमिका रही है।आज यह जिस रूप में हमारे सामने है, उसे ऐसा गढ़ने में सभी की भूमिका रही है लोकतंत्र के चारो स्तम्भ मिलकर देश को मजबूती प्रदान कर रहे और लोगो का विश्वास कायम रहे यह अपने आपमें बडी बात है।
[box type=”note” align=”alignleft” class=”” width=”100%”]आठ अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को ‘भारत छोड़ो’ के सशक्त नारे के साथ चुनौती दी थी। उन्होंने भारत के लोगों से ‘करो या मरो’ का ऐतिहासिक आह्वान किया था। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव रखते हुए उन्होंने जो भाषण दिया था, वह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अहिंसक आंदोलन के अंतिम शंखनाद के रूप में स्थापित हुआ।
-देवभूमि समाचार
[/box]¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »आशुतोष, लेखकपटना, बिहारPublisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|