
- आप कवयित्री हैं , आपको कविता अपनी किन विशिष्टताओं से आकृष्ट करती रही है ?
कविता मन के भाव कह जाती है, वो सब भी जो कभी एक इन्सान ज़ुबां से नहीं कह पाता, वो एक कवि कविता में ब्यान कर लेता है।
- जिन कवियों – लेखकों की रचनाओं ने आपको काफी प्रभावित किया उनके बारे में बताएं ?
ऐसे तो बहुत से कवि-कवित्रीयां हैं लेकिन अमृता प्रीतम जी, इस्मत चुग़ताई , महादेवी वर्मा प्रमुख हैं। इस्मत चुग़ताई और अमृता प्रीतम जी जिस तरह खुल कर शब्दों को लिखती हैं मुझे आकर्षित करती हैं। आप अपने बचपन माता – पिता घर द्वार से जुड़ी स्मृतियों को साझा कीजिए! बचपन के बारे में क्या कहें, वो सुहानी यादें ताउम्र साथ रहती हैं।
बचपन कभी लौटकर आता नहीं, मगर बचपन की यादें कभी जाती नहीं माता-पिता घर द्वार यादें दिल पर एक छाप छोड़ जाती है। वो सांझा चूल्हा, बड़ा परिवार, कितना अच्छा लगता था। आजकल छोटे छोटे परिवार और छोटे-छोटे घर हो गए हैं, वो घर जहां बचपन बिताया, दादा-दादी चाचा जी, ताया जी, बुआएं, उनके परिवार। कितना बड़ा परिवार हुआ करता था, सब मिलकर रहते थे, कितना आनंद आता था मगर अब हो बाते कहां रही।
- आज का साहित्यिक परिवेश कैसा लगता है ! महिला लेखन की पहचान के बारे में क्या कहना चाहेंगी ?
आज का साहित्य खरीदो और बेचो वाली कहावत सत्य होती प्रतीत होती है। मैंने इस पर आलेख भी लिखा था। आज जो लेखक किसी पत्र-पत्रिका की मेंबरशिप ले लेता है, वह हर रोज छपता है। चाहे वह कैसा भी लिख रहा हो, उसे मेडल, सम्मान पत्र, ट्रॉफी इत्यादि दी जाती हैं। लेकिन जो मेंबरशिप नहीं लेता उसके लेख कुछ समय के लिए छापने के बाद बंद कर दिए जाते हैं।
हमसे भी कई संपादकों ने कहा मेंबरशिप लेने को जब हमने मेंबरशिप नहीं ली, हमारे लिए कुछ आपने बंद कर दिए। लेकिन कुछ संपादक ऐसे भी हैं जो केवल रचनाकार की रचना को देखते हैं। अगर रचना अच्छी लगती है तो छापते हैं वरना नहीं। उन्हें पैसों का कोई लालच नहीं, ना ही वह मांगते हैं। आज के दौर में महिला लेखन की पहचान बन चुकी है।
- साहित्य के अलावा अपनी अन्य अभिरुचियों के बारे में बताएं ?
साहित्य के अलावा मुझे खाना बनाना, घर संवारना, नई-नई चीजें सीखना, संगीत सुनना, ( जिसमें पुराने गाने शामिल हों) और घूमना बहुत पसंद है।
- कवयित्री के रूप में समाज को क्या सन्देश देना चाहेंगी ?
एक कवित्री के रूप में मैं समाज को संदेश देना चाहती हूं, जो भी लिखो बेधड़क होकर लिखो। मन की उड़ान को खुले आकाश में उड़ने दो। कल्पनाओं के द्वार खोल दो। ना बिको और खरीदो किसी को, ना ही किसी के दबाव में आओ। आपकी कलम में ताकत है, तो दुनिया आपको आप की कलम से पहचानेगी।
#news source : prem bajaj, yamunanagar, hariyana