
समय-समय पर फोन चेक कर पता करते रहें कि बच्चे द्वारा कोई ऐसा कार्य तो नहीं किया जा रहा जो उसे साइबर क्राइम की ओर अग्रसर कर रहा हो।बच्चों द्वारा किए गए ईमेल और ऑनलाइन पेमेंट आदि की भी जानकारी रखें। #सुनील कुमार, बहराइच, उत्तर प्रदेश
[/box]साथियों क्या आपने कभी गौर किया है कि आजकल के बच्चे समय से पहले ही वयस्क हो रहे हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में आज के बच्चे अपने अभिभावकों से बहुत आगे निकल आए हैं। लगभग दो दशक पूर्व बच्चों को जो जानकारी 18-20 वर्ष की उम्र में हासिल होती थी सोशल मीडिया के इस दौर में 8-10 साल के बच्चे स्मार्टफोन की बदौलत वो जानकारी हासिल कर ले रहे हैं। परिणामस्वरूप पढ़ने-लिखने की कच्ची उम्र में बच्चे वयस्कों जैसा बर्ताव कर रहे हैं। खेलने-कूदने की उम्र में विपरीत लिंग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
जाने-अनजाने गलत कामों की ओर उन्मुख हो रहे हैं। शायद आपने गौर किया हो, कि वर्तमान दौर में स्मार्ट फोन ने बच्चों को पूर्णत: अपनी गिरफ्त में ले लिया है। आज चाहे कोई गरीब हो या अमीर हर घर में स्मार्टफोन ने अपनी जगह बना ली है। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए अभिभावक बच्चों को चाहे जैसे भी हो स्मार्टफोन दिला देते हैं।अब तो ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चों के हाथ से स्मार्ट फोन छूटता ही नहीं।
आज कल के बच्चों का स्मार्ट फोन से पढ़ाई तो एक बहाना होता है उनका अधिकांश समय तो फोन पर बेकार की चीजों को देखने-सुनने में ही बीतता है। दिन भर में दो-तीन घंटे ऑनलाइन पढ़ाई तो समझ में आती है, लेकिन पढ़ाई के नाम पर घंटों स्मार्टफोन में एंगेज रहना कोई अक्लमंदी नहीं है। स्मार्टफोन के अत्याधिक प्रयोग से तरह-तरह की घातक बीमारियां भी उत्पन्न हो रही हैं। दिन-रात स्मार्टफोन में व्यस्त होकर अपना बेशकीमती समय बर्बाद करके बच्चे न केवल अपने आपको बल्कि अपने साथ अपने अभिभावकों को भी धोखा दे रहे हैं।
अभिभावक समझते हैं कि उनका बच्चा स्मार्टफोन से दिन-रात पढ़ाई कर रहा है, जबकि वास्तव में उनका बच्चा अनावश्यक कामों में अपना समय और शक्ति गवां रहा होता है,लेकिन वो इस पर कभी ध्यान ही नहीं देते कि वास्तव में उनका बच्चा स्मार्टफोन में क्या देख- सीख रहा है। कई बार तो अभिभावकों के मना करने के बावजूद भी बच्चों के हाथ से स्मार्ट फोन नहीं छूटता। विशेषज्ञों का मानना है कम उम्र में लड़के-लड़कियों में सेक्स इच्छा को बढ़ावा देने के लिए कहीं न कहीं स्मार्टफोन भी जिम्मेदार है।
ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चे अभिभावकों से दूर एकांत कमरे में उत्तेजक वीडियोज व ब्लू फिल्में देखते हैं। नतीजतन बच्चे कम उम्र में सेक्स को आतुर हो जाते हैं। जबकि अभी ये बच्चे सेक्स संबंधों के लिए मेच्योर नहीं होते हैं। फिर भी अपनी सेक्स उत्तेजना शांत करने के लिए इधर-उधर सेक्स संबंध बनाते हैं। आजकल तो स्मार्टफोन बच्चों में ऑनलाइन जुएं की लत को भी बढ़ावा दे रहा है। सोशल मीडिया पर आएदिन तरह-तरह के गेम्स का भ्रामक विज्ञापन दिखाया जाता है।
आंनलाइन गेम्स में पैसे लगाकर बच्चों को रातों-रात करोड़पति बनने का झूठा सपना दिखाया जाता है। सिलेब्रिटीज द्वारा बच्चों को इसमें पैसा लगाने के लिए उकसाया जाता है,भ्रामक विज्ञापनों के चक्कर में पड़कर न केवल अनपढ़ बल्कि अच्छे-खासे पढ़े-लिखे घरों के बच्चे भी ऑनलाइन गेम्स की लत का शिकार हो रहे हैं। स्मार्टफोन की गिरफ्त में फंसे बच्चे न केवल अपना बेशकीमती समय गंवाते हैं, बल्कि अपना शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान भी करते हैं।
अभिभावकों को ध्यान देना चाहिए कि यदि उनका बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर अक्सर एकांत कमरे में स्मार्टफोन पर अधिक समय बिताता है, तो यह उनका नैतिक दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चे पर नजर रखें। समय-समय पर उसका मोबाइल चेक करें, उसके फ्रेंड सर्कल के बारे में जानकारी प्राप्त करें। दोस्तों के साथ किए गए उसके चैट को भी देखें। स्मार्टफोन पर उसके द्वारा सर्च किए गए तथा देखे गए वीडियोज आदि की भी जानकारी प्राप्त करें।
समय-समय पर फोन चेक कर पता करते रहें कि बच्चे द्वारा कोई ऐसा कार्य तो नहीं किया जा रहा जो उसे साइबर क्राइम की ओर अग्रसर कर रहा हो।बच्चों द्वारा किए गए ईमेल और ऑनलाइन पेमेंट आदि की भी जानकारी रखें। यदि आप सोशल मीडिया पर सक्रिय अपने बच्चों की गतिविधियों पर नज़र नहीं रखेंगे तो एक दिन आपके पास पछतावा के सिवा कुछ भी नहीं बचेगा।