- मेरठ के मवाना में पुलिस ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया।
- पांचवीं-सातवीं पास युवक और एमसीए पढ़ा इंजीनियर मिलकर चला रहे थे यह नेटवर्क।
- 200 से अधिक सिमकार्ड, सिमबॉक्स और लैपटॉप समेत कई उपकरण बरामद।
- देश की सुरक्षा और राजस्व दोनों को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा था।
मेरठ | सर्विलांस टीम और मवाना थाना पुलिस ने शनिवार देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश किया। टीम ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें शामिल हैं –
- आशिक (पांचवीं पास),
- उसका भाई इस्लाम (सातवीं पास),
- और गुफरान (एमसीए पढ़ा इंजीनियर)।
तीनों मोहल्ला कल्याण सिंह निवासी बताए जा रहे हैं। पुलिस ने इनके पास से चार सिमबॉक्स, 200 से अधिक सिमकार्ड, एक लैपटॉप, वाईफाई राउटर और मोबाइल फोन बरामद किए।
गूगल-यूट्यूब से सीखा तरीका
एसपी देहात राकेश कुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपियों ने किसी तकनीकी संस्थान से ट्रेनिंग नहीं ली थी। उन्होंने सिर्फ इंटरनेट का सहारा लिया। अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से जुड़ी खबरें पढ़कर, गूगल और यूट्यूब वीडियो देखकर पूरा सिस्टम समझा। फिर टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए उपकरणों और सिमकार्ड की व्यवस्था की। फर्जी नाम-पते पर बड़ी संख्या में सिमकार्ड खरीदे और इंटरनेट टूल्स के जरिए उन्हें सक्रिय किया।
कैसे काम करता था एक्सचेंज
आरोपी सिमबॉक्स, वाईफाई राउटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन के जरिए अंतरराष्ट्रीय वीओआईपी (Voice Over Internet Protocol) कॉल्स को लोकल मोबाइल कॉल्स में बदल देते थे।
- असली कॉलर आईडी छिप जाती थी।
- कॉल्स लोकल लगती थीं, जबकि वे विदेश से आती थीं।
- इस तकनीक का इस्तेमाल साइबर ठगों द्वारा पैसों की ठगी और संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंचने के लिए किया जाता था।
इससे न सिर्फ सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा था, बल्कि यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा साबित हो सकता था।
राजस्व और सुरक्षा पर डबल वार
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इन फर्जी कॉल्स के जरिए टेलीकॉम कंपनियों और सरकार को बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ है। साथ ही, अपराधी और दुश्मन ताकतें इस तकनीक का दुरुपयोग कर सकती हैं। इसी खतरे को देखते हुए एसएसपी मेरठ ने सर्विलांस टीम को सक्रिय किया था। कई दिनों से निगरानी के बाद शनिवार रात आरोपियों को ईदगाह पुलिया के पास से दबोच लिया गया।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनके नेटवर्क का दायरा कहां तक फैला है और इनके तार किन-किन जगहों से जुड़े हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह गिरोह साइबर ठगी करने वालों को फर्जी कॉल सर्विस उपलब्ध कराकर मोटा पैसा कमा रहा था।