कौन लेगा महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा?

ओम प्रकाश उनियाल

यह गर्व की बात है कि महिलाएं हर क्षेत्र में पदार्पण कर चुकी हैं। जब कोई महिला किसी क्षेत्र में नाम कमाती है तो उससे उसका परिवार ही नहीं अपितु पूरा देश गौरान्वित होता है। गौरव होना भी चाहिए। क्योंकि यही नारी विभिन्न रूपों में समाज में अहम भूमिका निभाती आ रही है। हिन्दू धर्म में नारी को देवी माना जाता है।

इससे उसका मान-सम्मान और भी बढ़ जाता है। आज महिलाओं के उत्थान के लिए सरकारी, गैर-सरकारी स्तर पर काफी कुछ किया जा रहा है। महिलाएं चाहे शिक्षित हों या अशिक्षित या फिर कम पढ़ी-लिखी वह स्व-निर्भर होना चाहती है। वह घर-परिवार की देखभाल के साथ-साथ आर्थिक तौर पर मजबूत बनना चाहती है।

कुछ महिलाओं के परिवार उन्हें यह स्वतंत्रता नहीं देते। जो परिवार खुले विचारों के होते हैं उनके परिवार की महिलाएं जिस क्षेत्र में कदम बढ़ाती हैं अवश्य ही सफलता उनके कदम चूमती हैं। समाज के नजरिए में एक कमी जो खलती है वह झूठे दिखावे की। एक तरफ तो महिलाओं के सम्मान व पुरुष के समान कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात की जाती है तो दूसरी तरफ उसी महिला को जरा-सी बात पर अपमानित करने में भी नहीं चूका जाता।

महिला कितने ही उच्चस्थ पद पर हो या सम्मानित हो उसे किसी न किसी तरह दबाने का प्रयास हर परिवार में रहता है। बेशक, यह सच शायद कई परिवारों व पुरुष प्रधान समाज को कड़वा लगे या अखरे। लेकिन महिला को आज भी कमजोर समझने की प्रवृति जारी है। यह सब इसलिए कि महिला के साथ कितना भी बुरा घट रहा हो वह अपने परिवार की मर्यादा को कभी आंच नहीं आने देती। वह मन ही मन घुटती रहती है मगर अपनी पीड़ा बाहर बयां नहीं करती।

उसके इस त्याग और समर्पण को अपने आप को बुद्धजीवी कहने वाले, समाज और धर्म के ठेकेदार बताने वाले और खुद को महिलाओं के हितैषी समझने वाले समझ ही नहीं सकते। केवल इसलिए कि उनका अहम् टकराता रहता है। नारी यह सब चुपचाप सहती रहती है। नारी-शक्ति जो भी अच्छा काम करती है उसकी सामाजिक-स्तर पर सराहना की जानी चाहिए। चाहे घर हो या बाहर उसका मनोबल कभी नहीं गिराना चाहिए।

हर किसी की मानसिकता है कि नारी कमजोर, अबला, बेचारी व असहाय बनकर ही रहे। ताकि, उसका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण किया जाता रहे। महिलाओं की सबसे बड़ी कमी यह है कि वह रहमदिली होती है। जिसके कारण उसका गलत फायदा उठाया जाता है। आज जिस प्रकार की घटनाएं महिलाओं के साथ घटती रहती हैं उससे तो यह लगता है कि कानून नाम की कोई चीज नहीं है।

यदि वे कमजोर बनी रहेंगी या चुप्पी साधे रहेंगी तो उनका और अधिक शोषण होगा। महिलाएं जागें, अपनी शक्ति पहचानें, चुप्पी तोड़ें। समाज में थोथे गाल बजाने वालों की भरमार बहुत है, सही रास्ता दिखाने वालों की कम। यदि सचमुच नारी को पूज्या मानते हो तो उसका मान रखना, उसकी सुरक्षा का जिम्मा लेना भी सीखो। यही सबसे बड़ा सम्मान होगा।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

Address »
कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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