सत्य की जीत

सुनील कुमार माथुर

परमात्मा उन लोगों की मदद अवश्य करता हैं जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करता हैं । अपने लिए तो हर कोई करता है लेकिन जो दूसरों के लिए करता हैं वही तो महान कहलाता हैं । अतः जो दूसरों के लिए जीते हैं भगवान उनकी मदद के लिए हर वक्त तत्पर रह्ते है। हम किसी के नेक कार्यों की सराहना न भी करे तो कोई बात नहीं लेकिन उसके नेक कार्यों में कभी भी बाधक नहीं बनना चाहिए ।

कहते हैं कि इंसान खाली हाथ आता हैं और खाली हाथ ही जाता हैं । इसलिए भले ही हम खाली हाथ जाये लेकिन नेक कर्म तो करने दीजिए । उसमें बाधक बनकर आप क्या हासिल कर लेंगे । जीना यहां , मरना यहां तो फिर खुशहाल जीवन ही जीओ जहां आनंद ही आनंद की प्राप्ति हो । सबके साथ आनंद पूर्वक जीवन जीना भी एक कला है और जिसने इस कला को सीख लिया समझों उसने जीवन को सही ढंग से जीना सीख लिया हैं ।

जीवन को कभी भी बोझ न समझे । यह जीवन तो परमात्मा का दिया हुआ एक अनोखा उपहार है तो फिर खुशी के साथ जीओं । जो व्यक्ति इस कला में निपूर्ण होता हैं उसी का जीवन सफल होता हैं अन्यथा इस जीवन की डोर खींचते हुए जीवन तो हर कोई जी रहा हैं ।

हमारा हाथ हर वक्त दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए न कि हर वक्त मदद मांगने के लिए । आपका तनिक सा भी सहयोग जरूरतमंद के लिए एक किरण की लौ होगी । मदद कोई भी छोटी – बडी नहीं होती हैं जो मदद समय पर मिल जायें वही सबसे बडी मदद हैं । ठीक इसी प्रकार कोई भी दान छोटा – बडा नहीं होता हैं ।

सत्य बोलने वालों को जीवन में अनेक तकलीफें झेलनी पडती हैं । अनेक बाधाएं झेलनी पडती हैं लेकिन आखिर में जीत सत्य की ही होती हैं । अतः जो सत्य के मार्ग पर चलता हैं उसे कोई भी ताकत हरा नहीं सकती । अतः सत्य बात कहने से कभी भी तनिक भी न घबराये । चाहें कोई भी काल या परिस्थिति क्यों न हो सत्य हर स्थिति में सत्य ही रहता हैं उसे बदला नहीं जा सकता।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

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33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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