यात्रा वृत्तांत : जाड़े के मौसम में गोवा के समुद्र तट की यादें

यात्रा वृत्तांत : जाड़े के मौसम में गोवा के समुद्र तट की यादें, इसमें दल के मनोनीत सदस्य के रूप में भाग लेने के लिए एक-दो दिन के बाद नियत तिथि को दिल्ली पहुंचने के लिए कहा था.आम तौर पर छुट्टियों में दिल्ली…

राजीव कुमार झा

आज से करीब तीस साल पहले गोवा गया था और तब दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बी.ए.में पढ़ता था और जाड़े की छुट्टियों में गांव आया हुआ था. उस समय दिसंबर का अंतिम पखवारा चल रहा था और बिहार में कड़ी ठंड पड़ रही थी तो इन्हीं दिनों मेरे पास जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सैयद जमालुद्दीन का लिखा एक पोस्टकार्ड आया, जिसमें उन्होंने गोवा के मडगांव में सरकार के द्वारा आयोजित किए जाने वाले किसी राष्ट्रीय एकता शिविर में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के दल के जाने के बारे में मुझे बताया था.

इसमें दल के मनोनीत सदस्य के रूप में भाग लेने के लिए एक-दो दिन के बाद नियत तिथि को दिल्ली पहुंचने के लिए कहा था.आम तौर पर छुट्टियों में दिल्ली से घर लौटने के बाद मैं इनके पूरा होने पर ही लौटा करता था लेकिन इस बार गोवा जाने की खुशी में मैं झटपट विक्रमशिला एक्सप्रेस में रिज़र्वेशन लेकर दिल्ली रवाना हो गया और उसके अगले दिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जाकर सैयद जमालुद्दीन साहब से मिला‌ और फिर मेरा नाम भी अंतिम तौर पर गोवा जाने वाले छात्रों के दल में शामिल हो गया.

मुझे दिल्ली से यात्रा की शुरुआत के दिन नियत समय पर निजामुद्दीन स्टेशन पर आने के लिए उन्होंने कहा. दिल्ली में निजामुद्दीन स्टेशन है, हमलोग वहां से गोवा के लिए वास्कोडिगामा एक्सप्रेस से रवाना हुए और फिर पूना सतारा से गुजरते मिरज पहुंचे. यहां से छोटी लाइन की ट्रेन से हमलोग फिर वास्कोडिगामा पहुंचे और फिर बस से मडगांव आये.यहां जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में राष्ट्रीय एकता शिविर में भाग लेने के लिए आने वाले छात्र- छात्राओं के रहने का इंतजाम किया गया था.

शिविर के कार्यक्रम भी यहां आयोजित होने वाले थे.इस शिविर में हिमाचल प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ से भी छात्रों का दल आया था और इन राज्यों के छात्रों से मिलकर काफी अच्छा लगा.जितेन्द्र साहू से भी इसी शिविर में मुलाकात हुई और उनसे आज भी मेरी मित्रता है . वह चित्र कार हैं और उस समर खैरागढ़ के इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे थे और मैं जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बी.ए.आनर्स की पढ़ाई कर रहा था.

गोवा में हम लोग अगले दिन सुबह में समुद्र के किनारे घूमने गये और क्रिसमस के दिन रात में समुद्र के किनारे क्रिसमस की पार्टियों को जाकर देखा .शिविर समापन के किसी दिन बस से हमलोग गोवा की राजधानी पणजी और इसके आसपास के अन्य दूसरे शहरों को भी देखने गये . गोवा समुद्र के किनारे बसा सुंदर राज्य है और यहां के समुद्रतट पर सारी दुनिया से लोग घूमने आते हैं.हमने मडगांव में समुद्र में नहाया भी और वहां समुद्र शांत था.

उसकी फेनिल लहरें बालुकामय तट पर दस्तक दे रही थीं और सामने दूर तक सागर का असीम विस्तार मन को आनंद से ओतप्रोत कर रहा था . इसके बाद हमलोग दिल्ली लौट आये.दिसंबर में गोवा में तापमान सामान्य था और वहां मौसम खुशनुमा था और समुद्र तट पर काफी लोग धूपस्नान का आनंद ले रहे थे लेकिन मडगांव के समुद्रतट पर शांति थी और ज्यादा चहल पहल नहीं थी . गोवा की यह यात्रा इस तरह मेरे जीवन की यादगार स्मृतियों में शामिल हो गयी.

पारंपरिक जीवन का वास्तविक उदाहरण है ‘ग्रामीण जीवन’


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

यात्रा वृत्तांत : जाड़े के मौसम में गोवा के समुद्र तट की यादें, इसमें दल के मनोनीत सदस्य के रूप में भाग लेने के लिए एक-दो दिन के बाद नियत तिथि को दिल्ली पहुंचने के लिए कहा था.आम तौर पर छुट्टियों में दिल्ली...
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राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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