सामयिक विमर्श : तुलसीदास का अपमान महापाप है…

सामयिक विमर्श : तुलसीदास का अपमान महापाप है… तुलसीदास को अपने जीवन काल में विरोधियों के काफी उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा था। मेरा इलाका बिहार के लखीसराय जिले में बड़हिया… ✍️ राजीव कुमार झा

उत्तर प्रदेश के कोई नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास के रामचरितमानस पर बैन की मांग की है। इस बारे में उनके विचारों से मैं ज्यादा अवगत नहीं हूं लेकिन महाग्रंथ में शायद तुलसीदास के प्रतिपादित विचारों में निहित अर्थ को अनर्थ का रूप देकर वह शायद प्रपंच रच रहे हैं। किसी ने उनकी बात पर नाराज़ होकर उनकी जीभ काटने की बात भी कही है।

यह भी गलत है। तुलसीदास को अपने जीवन काल में विरोधियों के काफी उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा था। मेरा इलाका बिहार के लखीसराय जिले में बड़हिया के टाल क्षेत्र में स्थित है और यहां के ब्राह्मण भूमिहारों में तुलसीदास को देवता के समान माना जाता है। यहां निरंतर रामचरितमानस का अखंड पाठ चलता रहता है।

तुलसीदास ने सबको सद्भाव शांति प्रेम और सहअस्तित्व का संदेश दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य की बातों को मीडिया में ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वह कोई नासमझ नेता ही लगता है। स्वामी प्रसाद मौर्य को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ की जानी चाहिए और उसकी जीभ काटने की बात करने वाले नेता को भी पकड़ा जाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार की बातों से समाज में नफरत की भावना फैलती है।

मूर्ख प्रतिक्रियावादी तत्व अपने गलत उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब हो जाते हैं।इस तरह की बातें कबीर , रहीम , रसखान किसी के नाम पर नहीं हों इसका ख्याल रखा जाना चाहिए। बिहार में ब्राह्मण भूमिहार बंधु शांति से काम लें और ऐसे बेवकूफ नेताओं की बातों पर ध्यान नहीं दें।

तुलसीदास हमलोगों के देवता हैं और उन्होंने हमें संगठित किया। धर्म के मार्ग पर अग्रसर किया और सच्ची संस्कृति का पाठ पढ़ाया। रामचरितमानस महान ग्रंथ है और इस पर मुसलमान बादशाहों और अंग्रेजों ने भी बैन नहीं लगाया था। तुलसीदास वैष्णव मत के कवि थे और लोक कवि के रूप में सबको ईश्वर के सच्चे स्वरूप और उसकी महिमा से अवगत कराया। उनका अपमान महापाप है।

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