आरोप-प्रत्यारोप का ट्रेण्ड

ओम प्रकाश उनियाल

हरेक आदमी खुद को काफी समझदार एवं दूध का धुला समझता है। जब तक तारीफ के पुलिंदे बांधते रहो तब तक उसकी बांछें खिली रहती हैं, लेकिन जरा-सी बात नापसंद होने या उसके अनुरूप न बोलने पर जो पासा पलटता है वह आरोप-प्रत्यारोप के दौर से शुरु होता है।

जब-जब चुनावी मौसम आता है चुनावी माहौल में राजनीतिक दल व राजनीतिज्ञ एक-दूसरे की छवि जनता के बीच धूमिल करने के लिए आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। यह एक ट्रेण्ड-सा बन चुका है। नेतागण इस ट्रेण्ड पर चलना अपनी शान समझते हैं। जिसे बरकरार रखने के लिए किसी भी हद तक उतर आते हैं।

आरोप-प्रत्यारोप करने में कोई बुराई नहीं। बस फर्क यह होता है कि सही तरीके और शालीनता से दूसरे पर तथ्यात्मक आरोप लगाए जाएं तो उससे स्वयं की गरिमा नहीं गिरती। आजकल आरोप लगाना आसान है। सरकारी दफ्तर में जरा किसी के खिलाफ शिकायत या भ्रष्टता की आवाज उठा दो सीधा ‘सरकारी कामकाज में बाधा डालने’ का आरोप उल्टे ही लगा दिया जाता है।

कहीं पर जरा-सी तू-तू,मैं-मैं होने पर दोनों पक्षों के बीच तो जो वाक् युद्ध चलता है वह भी बिना आरोप-प्रत्यारोप के समाप्त नहीं होता। यहां तक आपसी हाथापाई और गुत्थमगुथा तक की नौबत बन आती है। अड़ोसी-पड़ोसी के बीच की तनातनी के आरोप-प्रत्यारोप तो एक-दूसरे के पुरखों तक का रिकॉर्ड खंगाल देते हैं।

घर-परिवार में सास-बहू, पति-पत्नी, देवरानी-जिठानी, ननद-भाभी के बीच हल्की-सी कड़ुवाहट से आरोप-प्रत्यारोपों की झड़ी लगना शुरु हो जाती है। किसी पर आरोप लगाने से पहले स्वयं के गिरेबान में झांका जाए तो यह नौबत ही नहीं आएगी। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में हर प्रकार का इंसान होता है। मगर इसका मतलब यह नहीं कि समाज की मर्यादा का उल्लंघन किया जाए।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

Address »
कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights