पहाड़ों पर थम नहीं रही आसमानी आफत

ओम प्रकाश उनियाल

बरसात के मौसम में हरियाली से लकदक पहाड़ देखने में खूबसूरत तो लगते हैं मगर वहां रहने वालों के दिल से पूछिए कि मौसम की मार उन पर किस कदर भारी पड़ती है। पिछले कुछ सालों से पहाड़ों पर बादल फटने की घटनाएं बार-बार और अधिक घट रही हैं। हिमालय के आंचल में बसे पहाड़ी राज्यों में इससे हालात बिगड़ रहे हैं।

उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में जगह-जगह बादल फटने से अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। जब भी पहाड़ों में बादल फटने की घटनाएं घटती हैं तो पानी किधर अपना रुख बदल दे अनुमान लगाना मुश्किल होता है। जहां भी बादल फटता है वह पानी के साथ मिट्टी-पत्थर, पेड़-पौधे, बड़े-बड़े बोल्डर लेकर इतनी तेजी से आगे बढ़ता है कि जो कुछ उसके रास्ते में आता है सब अपने में समाहित कर साथ ले जाता है।

बार-बार फट रहे हैं बादल…

बादल फटने का समय निश्चित नहीं होता। अचानक एक ही स्थान पर इतना पानी बरसता है कि वह हर हाल में तबाही मचाता ही है। किसी को संभलने तक का मौका ही नहीं मिल पाता। पलक झपकते ही चारों तरफ मलबा और पानी का सैलाब नजर आता है। इंसानी जान-माल के अलावा न जाने कितने पशु-पक्षी व अन्य जीव-जंतु इस सैलाब में खो जाते हैं।

आखिर क्यों घट रही हैं पहाड़ में बादल फटने की घटनाएं? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? ये सवाल हम ही उठाते हैं। और पहाडों का शहरीकरण करके विकास की परिभाषा जो गढ़ी जाती है उसकी रपरेखा हम इंसानों के द्वारा ही तो तैयार की जाती है। तब हम यह भूल जाते हैं कि प्रकृति से छेड़छाड़ करने का नतीजा खौफनाक भी हो सकता है।

पारिस्थितिकी-तंत्र बिगड़ने व जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना है। आज हम जो विकास पहाड़ों पर होता देख रहे हैं वह विकास नहीं अपितु भविष्य के लिए महाविनाश की तैयारी कर रहे हैं। जागो! संभलों! पहाड़वासियों। अभी भी समय है इन पहाड़ों को बचाने का।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

Address »
कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights