कृषि कानून की वापसी, आंदोलन जारी कब तक?.

ओम प्रकाश उनियाल

तीन कृषि कानूनों को सरकार द्वारा वापस लेने की घोषणा की जा चुकी है, समिति बनाने को भी कह चुकी है, किसान फिर भी धरने पर बैठे हैं। लंबे समय से आंदोलनरत किसान अपने खेत छोड़कर सड़कों पर उतरे हुए हैं। शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाते रहे। बीच में आंदोलन में व्यवधान भी आया परंतु किसान टस से मस नहीं हुए।

प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने से शायद किसान खुश तो हैं मगर अभी जो उनकी असली मांगें हैं वह पूरी नहीं हुई हैं। किसान इसे न तो अपनी जीत मान रहे हैं और ना ही हार। किसान नेता संघर्ष से ही समाधान निकलने की बात कह रहे हैं। किसान एमएसपी पर गारंटी कानून, आंदोलन में जितने भी किसान शहीद हुए उनको मुआवजा, आंदोलन के दौरान जिन किसानों पर मुकदमे हुए उन्हें वापस लेने आदि मांगों पर अड़े हुए हैं।

उनका साफ कहना है कि जब तक उनकी ये मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सरकार जितनी जल्दी समस्या हल करेगी आंदोलन भी तुरंत खत्म कर दिया जाएगा। किसान अपनी जगह सही है। किसान के पास खेती के अलावा आय का अन्य कोई साधन नहीं है। उसकी भी अनिश्चितता बनी रहती है। खेती मौसम पर निर्भ करती है। कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी आगजनी जैसी आपदाओं में फसल नष्ट हो जाती है।

दूसरों को अन्न उपलब्ध कराने वाला अन्नदाता विषम परिस्थितियों से गुजरता है। फिर भी वह जी-तोड़ मेहनत कर धरती से सोना उगलवाने के लिए तत्पर रहता है। सरकारों को किसानों को सीमाओं पर तैनात सैनिकों के समकक्ष सम्मान देना चाहिए। जिससे उनका मनोबल बना रहे।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं कवि

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बंजारावाला, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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