नहीं भुलाया जा सकता आजादी में बंजारा समाज का योगदान

महेश राठौर सोनू

भारत देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बंजारा समाज आज भले ही राजनीति के दौर में भूलाया जा रहा हो परंतु बंजारा समाज का इतिहास अमिट है ना मिटने वाला है अपने शौर्य पराक्रम से बंजारा समाज ने इतिहास को नई दिशा दी है आजादी से पहले बंजारा समाज अंग्रेजों से गोरिल्ला युद्ध करता था क्रांतिकारियों को हथियार भी उपलब्ध कराता था।

एक तरह से बंजारा समाज ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था इसी बीच अंग्रेजों ने 1931 में जातीय आधारित सर्वे कराया था। उस समय बंजारा समाज अंग्रेजों से गुरिल्ला युद्ध करता था। और जंगलों में ही रहता था। बस्तियों से दूर दूर दूराज जगल में इसी कारण सर्वें में बंजारा छूट गए।

बंजारा समाज आजादी के बाद ही आजाद नहीं हो पाया बंजारा समाज ने आरोप लगाया कि संविधान लिखते या लिखवाते समय भी इसका ख्याल नहीं रखा गया। अंग्रेजों ने भी अपराधी घोषित कर रखा था। थाने में दो बार सुबह शाम हाजिरी लगानी पड़ती थी। सही मायने में बंजारा समाज तो 1952 में तब आजाद हुआ, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने क्रिमिनल एक्ट हटाया था।

आज आरजीआइ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के पास भी बंजारा समाज का डेटा नहीं है। गुरु तेगबहादुर से लेकर लक्खी शाह तक बंजारा समाज का इतिहास भरा पड़ा साथ साथ बंजारा समाज ने सरकार से भी मांग कि है जातिगत सर्वे भी होना चाहिए देश में लगभग 10 करोड़ की जनसंख्या है बंजारा समाज की

महेश राठौर सोनू, सामाजिक शुभचिंतक (गाँव राजपुर गढ़ी जिला मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश)

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