कैनवास पर लोकजीवन से प्रेम के बिखरे रंग

कैनवास पर लोकजीवन से प्रेम के बिखरे रंग… आम लोगों के अलावा औरतों के जीवन को उन्होंने खासकर अपनी पेंटिंग में जगह दी है। जितेन कवि भी हैं और आखर नामक साहित्यिक पत्रिका का भी उन्होंने संपादन… ✍️ राजीव कुमार झा

छत्तीसगढ़ के चित्रकार जितेन साहू का जन्म विलासपुर के टेंगनमाड़ा में हुआ और इन्होंने कला की औपचारिक शिक्षा इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में प्राप्त की है। हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद कला की उच्च शिक्षा पाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष और भटकाव से गुजरना पड़ा। वर्तमान में जितेन बचेली के केन्द्रीय विद्यालय में कला शिक्षक के तौर पर कार्यरत हैं और पिछले तीन दशकों की कला साधना से समकालीन कलाकारों में अपनी जगह बनाई है।

जितेन साहू की कलाकृतियों में छत्तीसगढ़ का ग्रामीण जनजीवन सहजता से अपनी सुंदरता को प्रकट करता है और हाल में बस्तर अंचल की जनजातियों के जीवन को उन्होंने अपने कैनवास पर खासकर चित्रित किया है। वह एक विलक्षण कलाकार हैं और बेहद सादगी से समाज – संस्कृति से जुड़े वर्तमान प्रश्नों को इनकी कलाकृतियां भाव और विचार का रूप प्रदान करती हैं।

आम लोगों के अलावा औरतों के जीवन को उन्होंने खासकर अपनी पेंटिंग में जगह दी है। जितेन कवि भी हैं और आखर नामक साहित्यिक पत्रिका का भी उन्होंने संपादन किया है। भारत भवन की कला दीर्घा के अलावा अनेक दीर्घाओं में उनकी कलाकृतियां संग्रहित हैं। उनकी पेंटिंग राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में भी शामिल की गयी है।

आधुनिक जीवन की विसंगतियों और विडंबनाओं को जितेन साहू की कलाकृतियां खासकर अपनी भावाभिव्यक्ति में समेटती हैं और इसमें आम आदमी की यातना और उसकी विवशता को लेकर व्यवस्था से निरंतर संवाद करती हैं। हमारी संवेदना को मानवीय संदर्भों में बेचैनी और विचलन से जीवन के विचारणीय सवालों की ओर उन्मुख करने वाली इनकी कलाकृतियों में अपनी मिट्टी और गांव घर की समायी स्मृतियां जितनी संजीव हैं , इनमें उतनी ही आत्मीयता का भाव भी मौजूद है।

जोशीमठ की दरारों पर अपना चमत्कार दिखा दो, पलकों पर बिठायेंगे, देखें वीडियो


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

कैनवास पर लोकजीवन से प्रेम के बिखरे रंग... आम लोगों के अलावा औरतों के जीवन को उन्होंने खासकर अपनी पेंटिंग में जगह दी है। जितेन कवि भी हैं और आखर नामक साहित्यिक पत्रिका का भी उन्होंने संपादन... ✍️ राजीव कुमार झा

सामयिक विमर्श : तुलसीदास का अपमान महापाप है…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights