रामलीला और नवरात्र
ओम प्रकाश उनियाल
नवरात्र समाप्ति की ओर हैं। देश के विभिन्न भागों में हिन्दुओं द्वारा अपने-अपने तरीके से नवरात्र मनाए जाते हैं। नौ दिन तक देवी के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-आराधना की जाती है। मां के भक्तों द्वारा व्रत भी रखे जाते हैं। अष्टमी और नवमी को कुंवारी कन्याएं जिमायी जाती हैं। जागरण आयोजित किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा नौ दिन तक बड़े ही धूमधाम मनायी जाती है।
जिसकी तैयारियां काफी पहले से की जाती है। नवरात्र के साथ-साथ देश के कुछ क्षेत्रों में रामलीला का मंचन भी किया जाता है। जिसमें भगवान राम की लीलाओं को पात्रों द्वारा मंच के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। पहले रामलीला का आयोजन गांव हो चाहे शहर, में बड़े ही जोश-खरोश से किया जाता था। शहरों में प्रतिदिन भगवान राम की लीलाओं की झांकियां निकाली जाती थी।
रात को रामलीला खेली जाती थी। रामलीला देखने के लिए हरेक उत्सुक रहता था। दर्शकों की भीड़ भी खूब जुटती थी। मगर धीरे-धीरे लोगों का ध्यान रामलीला की तरफ कम होने लगा। अब खेली तो जाती है लेकिन कहीं-कहीं। लोगों में न वह उत्साह रहा न भावनाएं। राम नाम के प्रति श्रद्धा राजनीति के माध्यम से तो जाहिर की जाती है लेकिन दस दिन की रामलीला का मंचन दिल से करने में श्रद्धा का अभाव दिखता है। राम तो हमारे आराध्य हैं।
उनकी लीलाओं से जो प्रेरणा व सीख मिलती है वह हर इंसान के जीवन को बदल सकती है। नवरात्र में देवी अर्थात् ‘शक्ति’ के नौ रूपों की आराधना से मनुष्य में नयी ऊर्जा का संचरण होता है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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