राष्ट्र को जोड़ते प्रधानमंत्री के अभियान

ओम प्रकाश उनियाल

आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न हम भव्य रूप से मना चुके हैं। देश का चप्पा-चप्पा तिरंगामय नजर आया। प्रधानमंत्री के आह्वान का देश के नागरिकों ने ऐसा सम्मान किया जिससे यह साबित हो गया कि राष्ट्र पर कभी कोई संकट आ जाए तो पूरा देश एकजुट है। एकता में ही ताकत होती है। बड़े से बड़े संकट की घड़ी टाली जा सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में कोरोना महामारी के समय भी जिस सूझबूझ का परिचय दिया उससे भारतवर्ष ही केवल एक ऐसा देश था जिसकी अर्थव्यवस्था इतनी नहीं लड़खड़ाई जितनी बड़े से बड़े देशों की। यही हाल महामारी को नियंत्रण करने में रहा। जिस प्रकार से उन्होंने देश की जनता को कोविड नियमों का पालन करने का आह्वान किया तब भी नागरिकों ने उनका सम्मान रखा।

जिसके कारण भारत में कोविड से जान गंवाने वालों की संख्या अन्य देशों की अपेक्षा बहुत ही कम रही। महामारी के प्रसार पर नियंत्रण के लिए टीकाकरण अभियान को जिस प्रकार से गति दी गयी उसका लाभ नागरिकों को ही मिल रहा है। स्वच्छ भारत, हर घर शौचालय, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान काफी सफल रहे।

प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए अभियानों का मतलब यह नहीं कि एक ही दिन में देश में खुशहाली छा जाएगी या सब समस्याएं दूर हो जाएंगी। इससे जन-मानस की जागरूकता, एकता व भावनाओं का पता चलता है। देश तो हमें हमेशा कुछ न कुछ देता ही आ रहा है। लेकिन क्या हमने कभी सोचने की कोशिश की कि देश को एक दिन हमने दे दिया तो हमारा क्या बिगड़ा? क्या हमारा इतना भी नैतिक कर्तव्य नहीं बनता? अभियान भी ऐसे जिनमें किसी प्रकार की राजनैतिक-बू न हो।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

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