कविता : प्रजातंत्र का तंत्र

भारत के गणतंत्र की, ये कैसी है शान। भूखे को रोटी नहीं, बेघर को पहचान॥ https://devbhoomisamachaar.com/wp-content/uploads/2025/01/Sports-Video-2025.mp4 सब धर्मों के मान की, बात लगे इतिहास। एक-दूजे को काटते, ये कैसा परिहास॥ प्रजातंत्र का तंत्र अब, लिए खून का रंग। धरम-जात के नाम पर, छिड़ती देखो जंग॥ पहले जैसे कहाँ रहे, संविधान के मीत। न्यारा-न्यारा गा रहा, … Continue reading कविता : प्रजातंत्र का तंत्र