कविता : पत्थर

कविता : पत्थर, मेरे दर्द से तुझे न मतलब रहा, इंसान तू बहुत खुदगर्ज रहा, तू टुकड़े करता रहा लाख मेरे, पर मैं भी मजबूत हूं दिल से, अपनी जरूरत के लिए पूजा, मैं दिल से सालेग्राम हो गया, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से… उकेरते जाते हैं अक्स, तो सितम ढाती … Continue reading कविता : पत्थर