कविता : नदी की धारा

राजीव कुमार झा

नदी की धारा
ग्रीष्म की सांसों में
घुलकर बह चली
बरसात में नदी
तट पर उमड़ पड़ी
जाड़े का मौसम
क्वार बीतने के बाद
आया

छठ के त्योहार में
नदी की धारा में
सबने मिलजुलकर
फल फूल चढ़ाया
सुबह होने से पहले
उसकी धारा में
जलते दीपक को
बहाया

सभी दिशाओं में
सुख शांति का साम्राज्य
छाया
अरी सुंदरी
बरसात में अकेले
किस पहाड़ के ऊपर
तुमने अपना दिन
अकेले साजन के
इंतजार में बिताया
आज सुबह धूप ने
जलवा दिखाया

आकाश आकर
आंगन में समाया
हवा ने प्रेम की
राह में तुम्हारा
आंचल उड़ाया
फूलों ने सबके
मन को महकाया

आज याद फिर
वह मौसम आया
जब कोई दिन
बेहद ठंडा होता
आदमी कंबल
रजाई में लिपटकर
सुख चैन से
रातभर सोता
धूप में मौसम
नदी घाट पर
अपने कोमल पैरों को
धोता

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राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

Address »
इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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