कविता : मस्त मगन

मस्त मगन मैं रहना चाहूँ खुद में झर -झर बहना चाहूँ खुद से खुद का हाल बताऊँ गलत -सही का फरक बताऊँ झिझक से कोसों दूर रहूँ कह लूँ, जो कुछ कहना चाहूँ मस्त मगन मैं रहना चाहूँ खुद में झर -झर बहना चाहूँ यात्रा वृत्तांत : झीलों की नगरी उदयपुर मौन अधर रख बात करूँ … Continue reading कविता : मस्त मगन