कविता : फूलों की माला

कविता : फूलों की माला, हंसता हुआ चेहरा तुम्हारा, चारों दिशाओं में अब यह आकाश भीगा, सारा सर्दी के मौसम में, धूप की गुनगुनी बारिश, यहां अब हो रही रोज रात खामोश होकर कुहासे में तुम्हारे पास आकर सो रही, पढ़ें बिहार से राजीव कुमार झा की कलम से…

अब हमारी आत्मा में
तुम्हारे हृदय का उल्लास
गूंजेगा
रात की वासना का ज्वार
सुबह सूरज की तरह से
जीवन के बाग में
अब सुवास बनकर छा गया

रात के पहले पहर में
याद आया
शाम की मुस्कान में
हंसता हुआ चेहरा तुम्हारा
चारों दिशाओं में
अब यह आकाश भीगा

सारा
सर्दी के मौसम में
धूप की गुनगुनी बारिश
यहां अब हो रही
रोज रात खामोश होकर
कुहासे में तुम्हारे पास
आकर
सो रही

किसके बारे में पूछता
सुबह का यह उजाला
अरी सुंदरी
आज तुम्हें पहनाऊंगा
आकर
महकते फूलों की माला


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