न पूछ हमसे रास्ता घर का जरूरतें दें गईं हैं वास्ता घर का शहर से जरूरतन मोहब्बत है और दिल में है राब्ता घर का उड़ने आसमां में … आ गए तो शहर अंदर फड़फड़ा रहा है फाख्ता घर का सुबह की चाय काली हँस रही है जेहन को याद है वो नाश्ता घर का … Continue reading कविता : न पूछ
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed