कविता : अमृत महोत्सव
सुनील कुमार माथुर
दाल-रोटी व नमक मंहगा
पेट्रोल-डीजल व गैस मंहगी
दाल-चावल , शिक्षा – चिकित्सा मंहगी
सडकों पर चलना और
सही सलामत घर पहुंचना
ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने के बराबर है
फिर भी देखों भारतवासी
अमृत महोत्सव मना रहें है
दूध , दही , घी , मक्खन मंहगा
हर खाधान्न है मंहगा
फिर भी देखों भारतवासी
अमृत महोत्सव मना रहा है
मकान का भाडा मनमाना
यातायात के साधन मंहगे
फिर भी देखों भारतवासी
अमृत महोत्सव मना रहा है
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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