कविता : एक सितारा आसमान से टूटा
राजेश ध्यानी
एक सितारा
आंसमा से टूटा
विश मांग रहें है लोग
कोई ना जाने
कोई ना समझें
उस पर लगा था
कैसा रोग।
विचरण में था
आंसमा में
संग चांदनी खेल रहा ,
कभी बादल के
आंचल मे छुप जाता
कभी चांद संग हो जाता।
तभी हवा का झौका आया
बादल संग लड़े खुद से
निकली आग
सह ना पाया
आसमा से छूट गया।
उड़ने लगा सहारें को
ना ठिकाना मिला
ना मिला हम सफर
यादें सज़ोकर अपनी
उसकी ज़मी में
समां गया।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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