स्वंय की संपत्ति

सुनील कुमार माथुर

जब हम बडे बुजुर्गों , कथा , भजन कीर्तन व सत्संग में बैठते हैं तो हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं । भजन कीर्तन व सत्संग एवं कथा में जाने से धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों का ज्ञान होता हैं । साधु – संत धार्मिक ज्ञान के साथ ही साथ अपने जीवन के अनुभव बताते हैं जिससे हमें जीवन को किस तरह से आनंद के साथ जीना चाहिए इस बात की कला सीखाते हैं और हमें उन बातों को सुनकर उन्हें जीवन में अंगीकार करना चाहिए तभी वहां जाने की महत्ता हैं ।

इसी प्रकार हमारे बडे बुजुर्ग भी हमें अपने जीवन के अनुभव बताते हैं ताकि हम उन्हें आत्मसात कर आनंद का जीवन व्यतीत कर सकें । जीवन तो हर कोई जीता हैं तो फिर रोते हुए जीवन जीने के बजाय हंसते मुस्कुराते हुए कार्य करें और आनंद एवं मस्ती के साथ जीवन जीओं । जीवन में एक बात को सदैव याद रखें कि कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे दूसरों को परेशानी हो । आप भी आराम की जिन्दगी जीओं और दूसरों को भी आराम की जिन्दगी जीने दीजिए ।

जीवन में कोई अपने आप में पूर्ण नहीं होता हैं और हर किसी को दूसरे के साथ की जरूरत होती हैं और इस जरूरत को बनाये रखने के लिए संबंधों की डोर को मजबूत बनाये रखना होगा । एक सुखद जीवन के लिए ईमानदारी , सत्यनिष्ठता , कर्मठता , सहनशीलता , धैर्य , आत्मविश्वास और हृदय की पवित्रता का होना नितान्त आवश्यक है । मुस्कराहट , अपनापन व स्वभाव ये सब स्वंय की संपत्ति है अतः इनका जीवन में जी भर कर उपयोग करे ।

हंसता – मुस्कुराता चेहरा व लोग हर किसी को अच्छे लगते हैं तो फिर हम पीछे क्यों रहें । हमारे चेहरे पर भी मुस्कान झलकनी चाहिए । कितना सुन्दर सुविचार है कि कांटे तो नाम से ही बदनाम है वरना चुभती तो निगाहें भी हैं और काटती तो जुबान भी हैं । इस नश्वर संसार में बेगुनाह कोई नहीं । सबके राज होते हैं किसी के छप जाते हैं और किसी के छुप जाते हैं ।

अपनी मुस्कान , अपना मधुर स्वभाव और हृदय की पवित्रता को सदैव बनाए रखें । यह जीवन तो एक माटी का पुतला है और न जाने कब टिला लग जायें और यह फूटकर बिखर जायें । इससे पहले हम अपनी प्रतिभा , हुनर व अनुभव से जितना हो सके उतना जनता-जनार्दन का दिल जीत ले और उनके हृदय में अपनी छवि बना ले ताकि हम इस नश्वर संसार में न भी रहे तो वे हमारे नेक कार्यों को याद कर – कर के हमें सदा स्मरण करते रहें।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

8 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights