प्रेम व स्नेह ही हमारी सबसे बडी पूंजी

सुनील कुमार माथुर

भारतीय सभ्यता और संस्कृति विश्व की सबसे महान संस्कृतियों में सबसे बडी पूंजी है चूंकि यह हमें करुणा , ममता , वात्सल्य , आपसी सहयोग , भाईचारे व एकजुटता का पाठ पढाती है ।

हमारे बड़े बुजुर्ग लोगो ने इस सभ्यता और संस्कृति का अनुसरण करके संयुक्त परिवार को बनाये रखा और परिवार को एक वटवृक्ष का रूप दिया और अपने अथक परिश्रम से एवं समर्पण से परिवार को संस्कारवान बनाए रखा । उस वक्त सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट नजर आती थी ।

लेकिन पाश्चात्य संस्कृति को अपना कर आज भले ही संयुक्त परिवार से अलग होकर हम अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं फिर भी हमारे चेहरों पर खुशी नही है । हम आज फिर से संयुक्त परिवार में जाना चाहते है लेकिन हमारे अंहकार के कारण हम फिर से शामिल नहीं हो पा रहे हैं और हमारे बच्चे आया के भरोसे पल रहे है । उनकी छत्र छाया में पल रहे है तब भला आप ही बताइये कि उनमें आदर्श संस्कार कहां से आयेगे ।

हमने बच्चों को उसके जन्म के साथ ही नाना – नानी व दादा – दादी से अलग कर दिया जबकि बच्चों को आदर्श संस्कार देने वाले प्रथम गुरु तो यही लोग हैं जो आज बुढ़ापे में बच्चों के प्यार व स्नेह को तरस रहे हैं ।

हमारे बड़े बुजुर्ग परिवार का एक भरोसा और विश्वास है जिन्होने स्वंय नाना प्रकार के दुख झेलकर हमें इस लायक बनाया और आज हम पाश्चात्य संस्कृति को अपना कर उनकी उपेक्षा कर रहे है । यह कैसी विडम्बना है ‌ । हमारी संस्कृति तो ऐसी शिक्षा नहीं देती है ।

हमारे बडे बुजुर्ग ने तो परिवार को एक वटवृक्ष का रूप दिया तो हम एकाकी परिवार में क्यों जी रहें हैं और दुख पा रहे है । क्यों इस विशाल वटवृक्ष की शाखाओं को काट रहे हैं ‌ । संयुक्त परिवार गुणवता की कसौटी पर सदैव खरा उतरा और परिवार को संस्कारवान बनाकर आगे बढाया ।

हर परिवार के सदस्य के चेहरे पर मुस्कुराहट रहती थी । परिवार के सदस्यों में सामाजिक सरोकार देखनों को मिलता था । बड़े बुजुर्ग अपनी अहम् भूमिका निभाते थे । जो भरोसे और विश्वास की नींव थी ‌ । उनके सोचने – समझने की उच्च क्षमता थी ‌। उनके आशीर्वाद का ही यह परिणाम है कि आज हम इस मुकाम पर है । उन्होंने अपने परिश्रम एवं समर्पण से परिवार को संस्कारवान बनाए रखा ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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