बापू के नाम खुला खत
सुनील कुमार माथुर
आदरणीय बापू ,
सादर चरण स्पर्श । बापू आप इस नश्वर संसार से क्या चले गयें यहां तो समस्याओं पर समस्याएं पैदा हो गयी हैं और कोई भी सुनने वाला नहीं है । हे बापू ! दो अक्तूबर पर आपके नाम पर प्रशासन आपके ध्दार कार्यक्रम चलेगे । आपके नाम पर अनेक योजनाओं की शुरुआत होगी । अनेक नई – नई घोषणाएं होगी । खादी के दामों में छूट दी जायेगी । लेकिन जनता-जनार्दन की कोई सुध लेने वाला नहीं । आपके जन्म दिन पर अनेक समारोह होंगे । आपके बताये मार्ग पर चलने की शपथ ली जायेगी और आपके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लिया जायेगा जो केवल कागजों में ही होगा और समाचार पत्रों में सुर्खियां बन कर रह जायेगी ।
बापू ! मैं कभी भी झूठ नहीं बोलता हूं । यहीं वजह है कि आज भी लोग मुझे हरिशचंद्र की औलाद कहकर संबोधित करते हैं । बापू ! मैं आपकों सत्य बता रहा हूं । आपके जाने के बाद यहां सब कुछ चौपट हो गया हैं । कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि सब गुड गोबर हो गया हैं । चूंकि हर कोई मनमानी कर रहा हैं । आजादी का अर्थ लोग अपने-अपने हिसाब से लगा रहें है । आज आजादी का अर्थ स्वच्छंदता हो गया हैं । चूंकि हर कोई अपने हिसाब से चल रहा हैं ।
देश भर में भ्रष्टाचार व मंहगाई ने अपना दबदबा बना लिया हैं । आज अधिकांश कार्य कराने के लिए लेन देन के बिना काम नहीं चलता हैं । मंहगाई आये दिन द्रौपदी के चीर की भांति बढती ही जा रही हैं । लेकिन न तो राज्य सरकारों को इसकी चिंता हैं और न केन्द्र सरकार को चूंकि सता में हो या न हो ये सरकारी सुविधाओं से लबालब रहते हैं । अगर जनता-जनार्दन की पीडा को समझें और उनके साथ रहें तो इन्हें हकीकत मालुम पडें । मगर ये सब जानते हुए भी अनजान बने हुए है । इस बात की पीडा अधिक हो रही हैं ।
बापू ! आये दिन खाधान्नों , खाध तेलों , दालों , सब्जियों , पेट्रोल , डीजल व रसोई गैस के दाम बढ रहें है लेकिन हमारे जनप्रतिनिधि व मंत्री गण सभी मौन धारण कर बैठें है वे तो केवल सरकार की हां में हां ही मिलाते हैं चूंकि उन्हें तो तमाम सरकारी सुविधाएं जो मिल रही हैं । यहीं वजह है कि बापू ! देश भर में भ्रष्टाचार व मंहगाई बढ रही हैं । लेकिन इन से छुटकारा दिलाने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है ।
हे बापू ! इतना ही नहीं सरकार की अनदेखी के कारण आपराधिक गतिविधियां बढ रहीं है । इसके लिए हम केवल पुलिस प्रशासन को दोषी ठहराकर इतिश्री कर लेते हैं । जबकि पुलिस प्रशासन को दोषी ठहराना गलत हैं । चूंकि इनकी भी मजबूरियां हैं । स्टाॅफ की कमी , अत्याधुनिक वाहनों व साधनों की कमी , स्टेशनरी का अभाव , क्षेत्रानुसार थानों की कमी होने से मौजूदा थानों पर जरूरत से ज्यादा काम का भार होने से भी वे शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान रहते हैं । अतः थानों व चौकियों में स्टाफ बढाने व समयानुसार सुविधाएं उपलब्ध कराना नितान्त आवश्यक है ।
हे बापू ! इसी प्रकार न्यायालयों के रिक्त पदों को भर कर मुकदमों का शीघ्रता से समाधान किया जा सकता हैं लेकिन सरकार रिक्तियां निकालने में अनावश्यक विलम्ब कर रही हैं हें बापू ! मैं आपकों क्या क्या बताऊं ? इस देश में तो समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है । अगर सभी को गिनाने बैठ गया तो न जानें कितने पन्ने रंगने पड जायें फिर भी तमाम समस्याओं का जिक्र नहीं हो पायेगा ।
हे बापू ! मेरी आप से हाथ जोड कर विनती हैं कि आपकी आज इस धरा पर नितान्त आवश्यकता है । जब आपने इस लाठी के बल पर अंग्रेजों को इस देश से भगाकर भारत माता को आजाद कराया तो क्या इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाओगे । हे बापू ! मैं भी कैसा अभागा हूं जो आपके जन्म दिन पर राष्ट्र का दुखडा ले बैठा । हे बापू ! पत्र लिखने में मुझ से कोई भूल हुई हो तो क्षमा करना । आपको जन्म दिन पर मेरी ओर से एवं समस्त देशवासियों की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं एवं जन्म दिन की बधाई । आपके चरणों में नमन् ।
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