ऑनलाइन कार्यशाला ने बच्चों का जीवन संवारा

सुनील कुमार माथुर

कोरोना काल में जहां बच्चे घरों के अंदर सिमट कर रह गए वहीं दूसरी ओर अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की त्रैमासिक पत्रिका बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा, उत्तराखंड के सचिव उदय किरौला ने बच्चों को रचनात्मक कार्यो से जोड़ते हुए बच्चों को साहित्यिक मंच उपलब्ध कराने तथा उन्हें अभिव्यक्ति देने का उतम व सराहनीय प्रयास किया है । उदय किरौला ने बताया कि कोरोना काल से पूर्व वे बच्चों की 5-5 दिवसीय कार्यशालाओं का आयोजन करते रहे। अभी तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा सहित कई राज्यों में लगभग 280 कार्यशालाएं 5-5 दिन की कर चुके हैं। उनके अनुसार बालप्रहरी से लगभग 1280 बच्चे ऑनलाइन जुड़े हैं जिनमें से लगभग 800 बच्चे वर्तमान में सक्रिय हैं।

अभी तक बालप्रहरी की 240 ऑनलाइन कार्यशालाएं हो चुकी हैं। बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाओं की विशेषता है कि इन कार्यशालाओं का संचालन हमेशा नए बच्चे करते हैं । अभी तक लगभग 200 बच्चों को विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करने तथा लगभग 800 बच्चों को अध्यक्ष मंडल में रहकर अपनी बात रखने का अवसर मिला है। कविता लेखन, कहानी लेखन, आत्मकथा लेखन, बाल कवि सम्मेलन, मुहावरा वाचन, चुटकुले वाचन, पहेली वाचन, देशभक्ति गीत गायन, लोक गीत गायन तथा लोक कथा वाचन जैसी गतिविधियां अलग-अलग दिनों में होती हैं ।

टिमली विकासनगर देहरादून की शिक्षिका नीलम शर्मा का कहना हैं कि वाट्सअप पर बने बालप्रहरी के तीन समूह में कार्यक्रम के लिए स्वैच्छिक तौर पर सहमति मांगी जाती है। देखते ही देखते बहुत से बच्चों की सहमतियां आने लगती हैं कभी-कभी तो एक की गतिविधि के लिए 150 से अधिक बच्चों की सहमति आ जाती है। ऐसी स्थिति में एक ही गतिविधि को तीन या चार चरणों में आयोजित करना पड़ता है । बाल कवि सम्मेलन, त्वरित भाषण, परिचर्चा तथा पहेली आदि में अधिक से अधिक सहमति देते हैं ।

इन कार्यक्रमों की एक और विषेशता है कि इसमें किसी प्रकार की प्रतियोगिताएं नहीं रखी जाती हैं। प्रतिस्पर्धा नहीं होने के कारण बच्चे एक दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं। इस कार्यक्रम से जुड़े अभिभावकों का कहना है कि बालप्रहरी की कार्यशाला में जुड़ने के लिए बच्चे बहुत ही उत्साहित रहते हैं। इसके लिए सुबह शाम अतिरिक्त पढ़ाई भी करते हैं । बच्चे टेलीविजन के सीरियल देखने के बजाय कार्यशाला में जुड़ना चाहते हैं । ये भी इस कार्यशाला का एक सकारात्मक पक्ष है।

कहानी वाचन सत्र में किसी प्रसिद्ध कहानीकार द्वारा तत्काल सुनाई गई कहानी पर समीक्षा करने में भी बच्चे पीछे नहीं रहते। वे कहानी की घटनाए पात्र संवाद, कहानी के नए शीर्षक व कहानी को अपने अंदाज में आगे बढ़ाते हुए अपना लोहा मनाते हैं। वहीं तत्काल भाषण कार्यशाला में बच्चे तुरंत दिए गए विषय पर बेबाक ढंग से अपनी प्रस्तुति देते हैं। अपनी पाठ्यपुस्तक से प्रख्यात कहानीकार तथा कवियों की कहानी व कविता को वे लेखक के परिचय के साथ प्रस्तुत करते हैं। मेरा प्रिय वैज्ञानिक’, ‘हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी’ आदि पर बोलने के लिए वे पाठ्यक्रम से बाहर की सामग्री भी प्रस्तुत करते हैं । इस प्रकार बच्चों में पठन-पाठन की आदत भी विकसित हो रही है । बच्चे जहां हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं को समझ रहे हैं वहीं हिंदी में उनका शब्द भंडार निरंतर बढ़ रहा है।

उदय किरौला व नीलम शर्मा ने बताया कि इस मंच से बच्चों को जहां अभिव्यक्ति का अवसर मिल रहा है वहीं बच्चे अपने ‘पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए मैं क्या कर सकता हूं’ , ‘कोरोना से बचाव के लिए मैंने क्या किया’, ‘बहुत खतरनाक है फास्ट फूड’, ‘होली में प्राकृतिक रंगों का उपयोग’, ‘खतरनाक है बम पटाखे का धुआ’, ‘लड़कियों का सम्मान करेंगे’, ‘बहुत जरूरी है लड़कियों का पढ़ना’ तथा’ मेरी चार अच्छी आदतें तथा चार ऐसी आदतें जिन्हें में बदलना चाहता हूं’जैसे विषयों पर परिचर्चा करके बच्चों को कहीं न कहीं रचनात्मक कार्य करने एवं जागरूकता अभियान से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

‘कोरोना की आत्मकथा’, कूड़ेदान की आत्मकथा’, ‘सेनेटाइजर की आत्मकथा’, ‘साबुन की आत्मकथा’,’ पेड़ की आत्मकथा’ जैसे विषयों पर बच्चे जहां नाटकीय अंदाज में अपनी अभिव्यक्ति दे रहे हैं। वहीं एक दूसरे को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। ऑनलाइन कार्यशाला में बच्चे जहां एक दूसरे का साक्षात्कार ले रहे हैं वहीं दिए गए विषय पर समूह चर्चा के माध्यम से उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर उन्हें मिल रहा है।

कार्यशाला के माध्यम से जहां विलुप्त हो रही पत्र लेखन विधा को प्रोत्साहित किया जा रहा है वहीं पहेली, मुहावरे के साथ ही लोक कथा तथा लोकगीत के माध्यम से स्थानीय लोक साहित्य तथा लोक संस्कृति के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है। जहां बच्चों कें लेखन कौशल का विकास हो रहा है वहीं बहुत ही आत्मविश्वास के साथ बच्चे अपनी बात को कहने का प्रयास कर रहे हैं । कार्यशाला में प्रतिदिन प्रतिष्ठित साहित्यकार, वैज्ञानिक, शिक्षक, डॉक्टर तथा बुद्धिजीवी बच्चों का उत्साह बढ़ाते हुए उनका मार्गदर्शन करते हैं।

बच्चे बालप्रहरी की ऑनलाइन गतिविधियों में जुडने के लिए उत्सुक रहते हैं। बालप्रहरी की आनलाइन कार्यशाला में देश के लगभग 15 राज्यों के बच्चे जुड़ रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के लिए औनलाइन कार्य करने वाला बालप्रहरी एकमात्र मंच बनता जा रहा है। 11 जुलाई, 2021 को बालप्रहरी के स्थापना दिवस समारोह पर आयोजित अखिल भारतीय चित्रकला कार्यशाला में एक ही दिन में 1060 बच्चों की चित्रकला ऑनलाइन प्राप्त हुई ।

इन सब गतिविधियों के सफल संचालन के लिए अभिभावकों तथा शिक्षकों का सहयोग सर्वोपरि हैं चूंकि अभिभावकों, शिक्षकों तथा बच्चों के सहयोग से ही सब कुछ संभव हो पा रहा है । बच्चों के साथ ही बालसाहित्यकारों को भी मंच देने का प्रयास कार्यशाला में रहता है। महीने में लगभग एक बार अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में बाल साहित्यकार बाल कविताओं का वाचन करते हैं । बालसाहित्यकारों, कहानीकारों को बच्चों को अपनी कहानी सुनाने का अवसर मिलता है। 8 सितंबर, 2021 को शिक्षक दिवस पर देश के 15 राज्यों के 160 रचनात्मक शिक्षकों को बाल कविता के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी दिया गया । बालप्रहरी बच्चों के साथ ही शिक्षकों तथा बालसाहित्यकारों को भी मंच देने का प्रयास कर रहा हैं ।

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