हे ईश्वर

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश

हे ईश्वर ! मैं निज स्वार्थ को मिटा दूं ।
इस दुनिया में प्रेम का दीप जला दूं ।।

लेकर तेरा ही नाम, नेक कर्म करूं ।
दुनिया में झमेले बहुत, हरगिज न डरूं ।।

तेरा ही पावन नाम हृदय में बसाए रखूंगा ।
संसार की मोह-माया में कभी न फसूंगा ।।

अब बस तुझी से लगी है आस मेरी ।
पतझड़ रुपी जीवन में कृपा बरसेगी तेरी ।।

मेरी सांस-सांस सिमरन करती तुमको ।
मेरा रोम-रोम पुलकित, दर्शन देदो मुझको ।।

हे ईश्वर ! मैं निज स्वार्थ को मिटा दूं ।
इस दुनिया में प्रेम का दीप जला दूं ।।

हिचकोले लेती मेरी टूटी-फूटी नैया ।
मेरे प्रभु तुम्हीं हो इसके खिवईया ।।

क्षण – क्षण डूब रहा, पार लगाओ ।
प्रभु चरणों का दास, मुझे बचाओ ।।

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