मेरे हर काम में सदा हाथ बंटाती है ‘मेरी बहना’

सुनील कुमार

खुशियों के खातिर हमारे कष्ट सदा उठाती है
रूठूं जो मैं कभी पल भर में मुझे मनाती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दु:ख की साथी है।

खुद खाने से पहले मुझको जो खिलाती है
मेरे हर काम में सदा हाथ बंटाती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दुःख की साथी है।

मेरे रोने पर रोती जो मेरे हंसने पर मुस्काती है
अम्मा-बाबू की डांट से अक्सर मुझे बचाती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दुःख की साथी है।

होली हो या दीवाली घर-आंगन मेरा सजाती है
भटकूं जो मैं कभी सही राह दिखाती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दुःख की साथी है।

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बांध कलाई पर स्नेह का धागा रक्षा कवच बन जाती है
जब भी निकलूं घर से बाहर विजय तिलक लगाती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दुःख की साथी है।

कैसे विदा करूंगा उसे इस घर-आंगन से
यह सोच के आंख मेरी भर आती है
मेरी प्यारी बहना मेरे सुख-दुःख की साथी है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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