मेरे मम्मी-पापा

सुनील कुमार

छोटा था जब मैं कभी गोदी में मुझे उठाते थे
उंगली पकड़कर मेरी चलना मुझे सिखाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

रोता था जब मैं कभी मुझको खूब हंसाते थे
सैर-सपाटा कराने को कंधे पर मुझे बैठाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

खुद खाने से पहले मुझको खूब खिलाते थे
रूठूं जो मैं कभी पल भर में मुझे मनाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

गिरता था जब मैं कभी दौड़ कर मुझे उठाते थे
चूम कर माथा मेरा सीने से मुझे लगाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

गलतियों पर मेरी अक्सर मुझे समझाते थे
भले-बुरे का भेद बताकर सही राह दिखाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

गुस्सा होता जब कभी मुझ पर प्यार दिखाते थे
खुशियों पर मेरी अपना सब कुछ लुटाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।

दुःख-दर्द अपना छिपाकर हरदम मुस्कुराते थे
मांगू जो भी मैं कभी हंसी-खुशी दिलाते थे
मम्मी-पापा मुझे राजा बेटा कहकर बुलाते थे।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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